पैसा अधिनियम – (pesa act 1996)
ग्रामीण भारत में स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 1992 में 73वाँ संविधान संशोधन विधेयक पारित किया गया था। जिसे 24 अप्रैल 1993 से लागू किया गया। इस संशोधन के साथ भारत में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का उदय हुआ।
इस संशोधन के उपरांत संविधान में पंचायत नामक शीर्षक से भाग-9 को जोड़ा गया। इस भाग में पंचायती राज व्यवस्था से संबंधित (243-243०) अनुच्छेद दिए गए हैं। यह अनुच्छेद पंचायतों की कार्यप्रणाली को संवैधानिक दर्जा प्रदान करते हैं।
अब समस्या यह थी कि इन्हीं अनुच्छेदों में से एक अनुच्छेद 243 (M) पंचायती राज व्यवस्था को कई आदिवासी क्षेत्रों में लागू होने से प्रतिबंधित करता है।
यह वह आदिवासी बाहल्य क्षेत्र होते है जिन्हें संविधान की पांचवीं अनुसूची में विशेष दर्जा प्राप्त है। जब समय के साथ इन आदिबासी बाहुल्य क्षेत्रों में भी स्थानीय स्वशासन कोश्मजबूत करने को मांग उठने लगी, तब सरकार द्वारा दिलीप सिंह भूरिया की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया ।
संविधान का भाग-9
इस भाग को 73वें संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया। इस भाग में पंचायत राज व्यवस्था से संबंधित अनुच्छेदों का उल्लेख मिलता है।
संविधान का भाग-11
भारत के संविधान में 11वीं अनुसूची को 73वे संविधान संशोधन 1992 के द्वारा जोड़ा गया था। जिसके तहत पंचायतों के कानुन क्षेत्र को 29 विषयों तक सीमित किया गया।
इसका अर्थ यह था कि पंचायतें कृषि, वन्य जीवन, मतस्य उद्योग, लघु सिंचाई-जल प्रबंधन पीने का पानी, पुस्तकालय, गैर परंपरागत ऊर्जा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास आदि जैसे 29 विभिन्न विषयों पर कार्य करेगा ।
- 73 संविधान संशोधन के अंतर्गत मध्य प्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था 20 अगस्त 1994 से लागू हुआ था ।
दिलीप भूरिया कमेटी
आदिवासी बाहल्य क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन में आदिवासियों के आर्थिक एवं सामाजिक हितों को पूर्ण करने हेतु मांग की जा रही थी, इस मांग को देखते हुए केंद्र सरकार ने 1994 में मध्यप्रदेश से सांसद रहे स्व. दिलीप सिंह भूरिया की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया।
इस कमेटी ने 1995 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी। इस रिपोर्ट में आदिवासी समाज के साथ किये गए शोषण की चर्चा की गई थी साथ ही इन क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने कौ सिफारिश भी की थी।
जिसके बाद इसी कमेटी की अनुशंसा पर केंद्र सरकार ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों के लिए विस्तार ) (पेसा – PESA Act) अधिनियम को संसद में प्रस्तुत किया। जिसे दिसंबर 1996 में दोनों सदनों के द्वारा बहुमत से
पारित किया गया यह अधिनियम 24 दिसंबर 1996 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त होते ही अस्तित्व में आ गया।
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भारतीय संविधान की पांचवी अनुसूची
भारत के संविधान की पांचवी अनुसूची (fifth schedule) का मूल प्रारूप ‘ अनुसूचित जनजाति ‘ की सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषायी एवं आर्थिक अस्तित्व की सुरक्षा करना है।
इसके तहत आदिवासी संस्कृति, भाषा, जीवनशैली और अधिकारों को राज्यपाल की निगरानी में संवैधानिक सरक्षण दिया गया है।
इस अनुसूची में शामिल विभिन क्षेत्रों पर संसद, विधानसभा और नौकरशाही के सीधे हस्तक्षेप को नियंत्रित करने की कोशिश की गई है। पांचवीं अनुसूची के तहत अनुच्छेद 244 (1) में आदिवासी क्षेत्रों में प्रशासन की व्यवस्था का उल्लेख है।
इसके भाग- क, (3) में कहा गया है कि प्रत्येक राज्य का राज्यपाल, जिसमें अनुसूचित क्षेत्र हैं, प्रतिवर्ष या राष्ट्रपति की मांग पर अनुसूचित क्षेत्र के प्रशासन के संबंध में प्रतिवेदन सौंपेगा |
ग्राम सभा क्या होती है ?
ग्राम सभा एक ऐसा निकाय होता है जिसमें वे सभी लोग शामिल होते हैं जिनके नाम ग्राम स्तर पर पंचायत की निर्वाचन सूची में दर्ज होते हैं। संविधान के अनुच्छेद 243( क) में ग्राम सभा को परिभाषित किया गया है।
ग्राम सभा से जुड़े प्रावधानों को संविधान में 73वें संविधान संशोधन 1992 के द्वारा जोड़ा गया था। ग्राम सभा की मतदाता सूची में दर्ज 18 वर्ष से अधिक आय वाले सभी व्यक्ति ग्राम सभा के सदस्य हो सकते हैं ।
पैसा एक्ट क्या है ? (pesa act kya hai in hindi)
यह एक केंद्रीय कानून है, जो संविधान के 9वें भाग में दिए गए पंचायतों के उपबंधों को आदिवासी क्षेत्रों (पांचवी अनुसूची में शामिल ) में कुछ संशोधन के साथ विस्तारित करता है और जनजातीय जनसंख्या को स्वशासन प्रदान करता है। इसी कारण इस अधिनियम का पूरा नाम पंचायत ( अनुसूचित क्षेत्रों के लिए विस्तार ) अर्थात पेसा अधिनियम
रखा गया। वर्तमान में 10 राज्य ( आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, झारखंड, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और राजस्थान ) पांचवी अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
पेसा एक्ट का फुल फॉर्म क्या है ( pesa act full form )
पेसा एक्ट का फुल फॉर्म पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम होता है जिसे अंग्रेजी में ( Panchayats Extension to Scheduled Areas Act) कहते है
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पैसा एक्ट की विशेषता ( features of pesa act)
पेसा कानून के तहत आदिवासी क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को सभी गतिविधियों का केन्द्र बनाने की कोशिश की गई है। इन क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को निम्न जिम्मेदारी देकर सशक्त बनाने का प्रयास किया गया है। आदिवासी बाहुल्य इन गांवों में कौन से विकास के कार्य कराए जाने हैं और प्राथमिकता क्या रहेगी, यह ग्रामसभा ही तय करेगी।
- खनिजों के लाइसेंस/पट्टा देने के लिए ग्राम सभा की सिफारिश लेना अनिवार्य है।
- ग्राम सभाओं को ग्राम बाजारों के प्रबंधन की शक्ति प्रदान की गयी है।
- सामुदायिक वन प्रबंधन के तहत वनोपजसंबंधी निर्णय ग्रामसभा लेगी।
- तेंदूपत्ता संग्रहण और विक्रय का काम ग्रामसभा करेगी।
- बांस-बल्ली आदि की बिक्री से होने वाली आमदनी का एक हिस्सा ग्रामसभा द्वारा गठित की जाने वाली वन विकास समिति को मिलेगा। लाभांश का वितरण सदस्यों में किया जाएगा।
- शराब की दुकान खोलने के लिए ग्रामसभा से अनुमति लेनी होगी ।
- यदि ग्रामसभा इन्कार कर देती है तो संबंधित गांव में शराब दुकान नहीं खुलेगी । इसी तरह खदान के संचालन का निर्णय होगा।
- आदिवासी की भूमि पर यदि गैर आदिवासी ने कब्जा कर लिया हे तो ग्रामसभा उसे वापस कराएगी। इसके लिए राजस्व विभाग कार्रवाई करेगा।
- पुनर्वास और विस्थापन संबंधी कार्यों में भी ग्रामसभा को ही सारे अधिकार दिए गए हैं।
पेसा एक्ट कितने राज्यों में लागू है ( pesa act states / pesa act state list )
दस पेसा राज्यों में से, आठ राज्यों जैसे की गुजरात, हिमाचल प्रदेश,आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना ने अपने संबंधित राज्य पंचायती राज कानूनों के तहत अपने राज्यों में पेसा ( pesa act ) नियम बनाए और अधिसूचित किए हैं।
मध्य प्रदेश नवम्बर 16, 2022 को पेसा एक्ट लागू करने वाला देश का 7वां राज्य बन गया है | जनवरी 2017 में गुजरात में पेसा नियमों को अधिसूचित किया गया
पेसा अधिनियम के प्रमुख तथ्य (pesa act fact in hindi)
- पेसा अधिनियम 24 दिसंबर 1996 को अस्तित्व में आया।
- दिलीप सिंह भूरिया समिति पेसा अधिनियम से संबंधित है।
- अनुच्छेद 243(M) पंचायत के उपबंधो को कई क्षेत्र में लागू करने से प्रतिबंधित करता है।
- 11वीं अनुसूची में पंचायतों से संबंधित 29 विषयों को रखा गया है।
- संविधान का भाग 9 पंचायती राज व्यवस्था से संबंधित है।
- 5वीं अनुसूची आदिवासी क्षेत्रों को विशेष दर्जा प्रदान करता है।
- ग्राम सभा की मतदाता सूची में दर्ज 18 वर्ष से अधिक आयु वाले सभी व्यक्ति ग्राम सभा के सदस्य होते हैं।
- प्रतिवर्ष 24 अप्रेल को पंचायतेराज दिवस मनाया जाता है।
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