मध्य प्रदेश के फेमस आदिवासी लोक नृत्य कौन से है?

जोहर दोस्तों हमारे ब्लॉग पर स्वागत है आज हम जानेंगे मध्य प्रदेश के प्रमुख आदिवासी लोक नृत्य (madhya pradesh ke lok nritya) कौन कौन से है इसके बारेमे mp ke lok nritya ke bare mai

मध्य प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्य (Important Folk dance of Madhya Pradesh in Hindi) जानेंगे मध्य भारत के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित आदिवासी लोककथाओं और मिथकों की भीड़, स्थानीय गीत और नृत्य परंपराओं के बारेमें

मध्य प्रदेश में स्थित आदिवासी के फेमस लोक नृत्य ( Famous Folk dance of Madhya Pradesh in Hindi) कौन्सी श्रेणी में आते हैं।

हमारे मध्य प्रदेश के मुख्य आदिवासी समुदाय के लोक नृत्य – MP ke lok Nritya In Hindi टॉपिक में हम जानेंगे निमाड़, मालवा, बुंदेलखंड और बघेलखंड क्षेत्र के प्रसिद्ध लोक नृत्यों और मध्य प्रदेश के लोक नृत्योंको जानते है।

Table of Contents

मध्य प्रदेश के मुखय आदिवासी लोक नृत्य (Important Folk dance of Madhya Pradesh in Hindi)

नृत्य क्षेत्रआदिवासी / जनजाति 
बिलमाबुंदेलखंड बैगा
गेंडी बस्तरगोण्ड
रीना बैगा तथा गोंड
छेरता मुड़िया
करमा मंडलागोण्ड और बेगा 
चटकोरा कोरकू
मटकीमालवा
गोंचो गोण्ड
बिनाकी भोपाल (कृषकों द्वारा)बंजारा 
टीनागोण्ड
गौरसिंग माडिया
दादरबुंदेलखण्डकोटवार और कहार
गरबा डांडियानिमाड़ बंजारा 
सुआ मैकाल श्रेणी
गोल-गढ़ेड़ो मालवा और निमाड़भील
भगोरीया झाबुआ और अलीराजपुर भील

मध्य प्रदेश के मुख्य आदिवासियों का फेमस करमा नृत्य

मण्डला के आसपास के क्षेत्रों में गोंड और बैगा आदिवासियों का प्रमुख नृत्य है। करमा नृत्य कर्म देवता को प्रसन्‍न करने के लिए किया जाता है।

कर्मा कर्म की प्रेरणा देने वाला नृत्य है, जो ग्रामीण आदिवासियों के कठोर वन्यजीवन और ग्राम्याचलों के कृषि संस्कृति एवं श्रम पर आधारित है।

वर्षा ऋतु को छोड़कर प्रायः सभी ऋतुओं में यह नृत्य किया जाता है। यह विजयादशमी से प्रारम्भ होकर अगली वर्षा ऋतु के आरंभ तक चलता है। इसमें पुरुष और स्त्रियाँ दोनों भाग लेते हैं।

क्षेत्र-भिन्नता के साथ गीत, लय, ताल, पद संचालन आदि में थोड़ा-थोड़ा अन्तर है। कर्म को जीवन में प्रधानता देने का विचार ही इस नृत्य का सबसे महत्वपूर्ण संदेश है। करमा गीतों में अत्यधिक विविधता होती है। वे किसी एक भाव या स्थिति के गीत नहीं होते। करमा वास्तव में जीवन चक्र की कलात्मक अभिव्यक्ति है।

साल 2017 में छत्तीसगढ़ के आदिवासी महिला और पुरष ने मिलकर सबसे बड़ा कर्मा नाच नृत्य किया था और अपना नाम – गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया |

करमा नृत्य या करमा नाच मध्य और पूर्वी भारत का एक पारंपरिक नृत्य है जो हर साल करमा उत्सव के दौरान किया जाता है।

वैसे तो करमा झारखंड राज्य की एक आदिवासी नृत्य कला शैली है। यह काला शैली करमा महोत्सव से जुड़ा है और यह अक्सर अगस्त के महीने में किया जाता है। इस नृत्य शैली में प्रयुक्त संगीत वाद्ययंत्र झुमकी, ठुमकी, छल्लू और पायरी हैं।

मध्य प्रदेश के मुख्य आदिवासियों का फेमस परधौनी नृत्य

यह बैगा आदिवासियों द्वारा विवाह के अवसर पर बारात अगवानी के लिए किया जाने वाला लोक नृत्य है। इस नृत्य का मुख्य उद्देश्य प्रसन्‍नता की अभिव्यक्ति है। यह nitra मुख्य रूप से वर पक्ष का स्वागत करने और उनके मनोरंजन के लिए किया जाता है |

नृत्य में वर पक्ष की ओर से एक हाथी बनाकर चलाया जाता है यह एक अनुष्ठान के रूप में होता है। यह बैगा जीवन चक्र का एक अटूट हिस्सा माना जाता है।

बेगा का मतलब जादूगर होता है | परधौनी नृत्य जैसे की नाम से ही पता लगता है की किसी का स्वागत किया जाना है | इस तरह की MP ke lok Nrityain kala me आनन्द और शुभ भावनाओ को व्यक्त करने के लिए किया जाता है |

मध्य प्रदेश के मुख्य आदिवासियों का फेमस दशहरा नृत्य 

बैगा आदिवासी यद्यपि दशहरा त्यौहार नहीं मानते हैं किन्तु विजयादशमी से प्रारंभ होने के कारण इस नृत्य का नाम दशहरा नृत्य पड़ा।

इस नृत्य को बैगा आदिवासियों का आदि नृत्य कह सकते हैं। दशहरा नृत्य अन्य नृत्यों का द्वार है। एक तरह से दशहरा नृत्य बैगा आदिवासियों में सामाजिक व्यवहार की कलात्मक सम्पूर्ति है।

मध्य प्रदेश के मुख्य आदिवासियों का प्रचलित भगोरिया नृत्य 

म.प्र. के झाबुआ और अलीराजपुर क्षेत्र में निवास करने वाले भीलों का भगोरिया नृत्य, भगोरिया हाट में होली तथा अन्य अवसरों युवक-युवतियों वी द्वारा किया जाता है।

भगोरिया हाटों क़ा आयोजन फागुन के मौसम में होली से पूर्व होता है। भगोरिया नृत्य में विविध पदचाप, समूहन पाली, चक्रीपाली तथा पिरामिड नृत्य मुद्राएँ आकर्षण का केंद्र होती हैं |

रंग-बिरंगे वेशभूषा में सजी युवतियों का श्रृंगार और हाथ में तीरकमान लिए नाचना ठेठ पारंपरिक व अलौकिक होता है।

मध्य प्रदेश के मुख्य आदिवासियों का फेमस हुलकी नृत्य

हुलकी पाटा नृत्य मुरिया आदिवासियों में प्रचलित है। इसमें नृत्य के साथ ही इसके गीत विशेष आकर्षण रखते हैं। इस नृत्य में लड़के-लड़कियाँ दोनों ही भाग लेते हैं ।

इसमें यह गाया जाता है कि राजा-रानी कैसे रहते हैं? अन्य गीतों में लड़के-लड़कियों की शारीरिक संरचना के प्रति सवाल-जवाब होते हैं जैसे ऊंचा लड़का किस काम का? जवाब-सेमी तोड़ने के काम का आदि।

यह नृत्य किसी समय-सीमा में बंधा हुआ नहीं है। कभी भी नाचा-गाया जा सकता है। 

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मध्य प्रदेश के मुख्य आदिवासियों का फेमस थापटी नाच

थापटी कोरकुओं का पारम्परिक लोकप्रिय नृत्य है। चैत्र-वैशाख में कोरकु स्त्री-पुरुष यह सामूहिक नृत्य करते हैं। रथ के हाथों में चिरकोरा वाद्य होता है और युवकों के हाथ में एक पंछा और झांझ नामक वाद्य होता है। वे गोलाकार परिक्रमा करते हुए दाएँ-बाएं झुक-झुककर नृत्य करते हैं।

थापटी के मुख्य वाद्य ढोल और ढोलक हैं। गीत की कड़ियों के साथ नर्तकों की पद-गति और हाथों के हाव-भाव थापटी नृत्य को मोहकता प्रदान करते हैं।

ग्राम मल्हारगढ़, खंडवा के श्री मोजीलाल थापटी नाच के प्रतिष्ठित कलाकार हैं।

मध्य प्रदेश के मुख्य आदिवासियों का फेमस अटारी नृत्य

 यह बघेलखण्ड के रा बैगाओं का नृत्य हैं। यह नृत्य वर्तुलाकार होता है। एक पुरुष कंधे पर दो आदमी आरूढ़ होते हैं। एक व्यक्ति ताली बजाते हुए भीतर-बाहर जाता रहता है। वादक पार्श्व में रहते हैं।

मध्य प्रदेश के मुख्य आदिवासियों का फेमस ढांढल नृत्य

यह नृत्य कोरकू आदिवासियों द्वारा किया जाता है। नृत्य के साथ श्रृंगार गीत गाए जाते हैं और नृत्य करते समय एक दूसरे पर छोटे छोटे डंडों से प्रहार किया जाता है यह नृत्य ज्येष्ठ आषाढ़ की रातों में किया जाता है।

नृत्य के साथ ढोलक, टिमकी, बाँसुरी, मृदंग आदि का प्रयोग होता है, जिनके वादन की गति नृत्य की गति को नियंत्रित करती है।

मध्य प्रदेश के मुख्य आदिवासियों का फेमस सैला नृत्य (शैला/नृत्य)

यह शुद्धतः जनजातियों का नृत्य है यह नृत्य आपसी प्रेम एवं भाईचारे का प्रतीक है। शैला का अर्थ सैला या ठंडा होता है। शैला-शिखरों पर रहने वाले लोगों के द्वारा किए जाने के कारण इसका नाम शैला पड़ा।

यह नृत्य दशहरा से आरंभ होकर पूरी शरद ऋतु की रातों को चलता है। आदिदेव प्रसन्न करने हेतु शैला नृत्य का आयोजन होता है।

यह नृत्य केवल पुरुषों द्वारा किया जाता है। इसमें नर्तक सादी वेशभूषा, हाथों में डंडा लेकर एवं पैरों में घुँघरू बाँधकर गोल घेरा बनांकर नाचते हैं। पहले एक गायक एक दोहा बोलता है, फिर शेष उसे

दोहराकर नाचते हैं। मांदर इसका प्रमुख वाद्य है। ग्रामों को सांस्कृतिक रूप से जोड़ने में इस नृत्य की अहम भूमिका है।

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मध्य प्रदेश के मुख्य आदिवासियों का फेमस भड़म नृत्य 

इसे भड़नी या भंगम नृत्य भी कहते हैं। भारिया जनजाति में यह मुख्यतः विवाह के अवसर पर किया जाता है। इस नृत्य में भी ढोलक, टिमकी, झाँझ का प्रयोग किया जाता है। किंतु टिमकी वादकों को संख्या

ढोलक बादकों से दुगुनी होना अनिवार्य है। ढोलक वादक एक पंक्ति में खड़े रहते हैं और टिमकी वादक खुले में । समांतर गति में धीरे-धीरे घूमते हुए संगीत की ताल के साथ कदम मिलाकर यह नृत्य किया जाता है।

बीच-बीच में दोहे भी बोले जाते हैं। 

मध्य प्रदेश के मुख्य आदिवासियों का फेमस सैतम नृत्य 

यह भारिया महिलाओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य है। इसमें हाथों में मंजीरा लेकर युवतियों के दो तल आमने-सामने खड़े होते हैं और बीच में एक पुरुष ढोल बजाता है।

एक महिला दो पंक्ति गाती है और शेष उसे दोहराते हुए आगे बढ़ाते हैं। कुछ क्षेत्रों में इस पर करमा, शैला व अहिराई नृत्य का प्रभाव दिखता है। 

मध्य प्रदेश के मुख्य आदिवासियों का फेमस सरहुल नृत्य

सरहुल उरांव जनजाति का आनुष्ठानिक नृत्य हैं। उरांव वर्ष में चैत्रमास की पूर्णिमा पर शाल वृक्ष की पूजा का आयोजन करते हैं और वृक्ष के आसपास नृत्य करते हैं। सरहुल एक समूह नृत्य है। इसमें उरांव युवक, युवती और प्रौढ़ उमंग और उल्लास से हिस्सा लेते हैं।

सरहुल नृत्य का प्रमुख वादय मांदर और झांझ है। नृत्य में पुरुष विशेष प्रकार का पीला साफा बाँधते हैं। महिलाएँ अपने जूड़े में बगुले के पंख की कलगी लगाती हैं।

नृत्य में पद संचालन बादय की ताल पर नहीं बल्कि गीतों कौ लय और तोड़ पर होता है।

मध्य प्रदेश के मुख्य आदिवासियों का फेमस गोल-गढ़ेड़ो 

यह भील जनजाति का नृत्य है जिसे मध्य प्रदेश के मालवा और निमाड़ क्षेत्रों में होली के समय किया जाता है जिसमें आदिवासी युवा लड़के और लड़किया नृत्य करते है | 

मध्य प्रदेश के मुख्य आदिवासियों का फेमस मालवा नृत्य

यह मालवा जो की पहाड़ी क्षेत्र से आने वाले मध्य प्रदेश के लोक नृत्य हैं,

मटकी | Matki

  • मालवा मध्य प्रदेश का क्षेत्र की महिलाओं द्वारा शादियों के समय और अन्य उत्सवों के अवसर पर मटकी का प्रदर्शन किया जाने वाला नृत्य है।
  • यह खास कर के सिर पर कई मिट्टी के बर्तनों को संतुलित करते हुए और एक गोलाकार गति में थाली पर पैर रखकर किया जाता है। महिलाओं का चेहरा घूंघट से ढका होता है।
  • आड़ा-खड़ा नृत्य यह मटकी नृत्य का एक लोकप्रिय रूप है।
  • इस नृत्य में प्रयुक्त होने वाला प्राथमिक वाद्य यंत्र ढोल होता है।

आखिर में

दोस्तों हमने जाना की मध्य प्रदेश के आदिवासी लोक नृत्य कौन से है (madhya pradesh ke lok nritya) के बारेमें | आदिवासी समुदाय के लोग भलेही कितने ही गरीब क्यों न हो लेकिन वे इन folk dance (mp ke lok nritya) के माध्यम से अपने जीने की खुशी ढूंढ ही लेते है | 

में आशा करता हु आप लोगो को ये पोस्ट पसंद आयी होगी अपने दोस्तों के साथ इसे जरूर शेयर करे धन्यवाद| 

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