आदिवासी शब्द का अर्थ क्या है इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया

क्या आप जानते है आदिवासी का असली MATLAB क्या होता है? | Adivasi Ka Arth Kya Hota Hai? – Tribes Meaning In Hindi / Adivasi Ka Arth Kya Hota Hai? आदिवासी क अर्थ जानना चाहते हैं? तो यहाँ आपको सही जवाब मिलेगा। इस article / लेख में हम आदिवासी का अर्थ आसान भाषा में समझाएंगे, इसलिए कृपया इस आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पढ़ें और नीचे comment करना  न भुले यदि इस article मे modification या correction करना  है तो चोम्मेन्त करके हमे बताये ओर पसंद अये तो अपने दोस्तो के साथ share  करे जय जोहार|

आदिवासी शब्द दो शब्दों, ‘आदि’ और ‘वासी’ से मिलकर बना है और जिसका अर्थ् मूल निवासी यानि पूर्व वासी होता है।

Tribes Meaning In Hindi का मतलभ होता है, “किसी भौगोलिक क्षेत्र य जगह में प्रारंभ से वास करने वाला समुदाय आदिवासी है, अर्थात Adivasi होत है | 

आदिवासी शब्द इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया

बहुत समय पहले आदिवासी शब्द का इस्तमाल सर्वप्रथम 18वीं शताब्दी में ब्रिटिश उपनिवेशवादियों ने किया था। उन्होंने इस शब्द का प्रयोग उन लोगों के लिए किया जो ब्रिटिश साम्राज्य के आगमन से पहले से ही भारत के विभिन्न हिस्सों में रहते थे, हालाकि आदिवासी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ठक्कर बप्पा ने जनजाति के लिए आदिवासी शब्द का प्रयोग किया और इसे आदिवासी के पितामह भी कहते हैं ।

आज भारत में आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति के रूप में जाना जाता है। भारतीय संविधान में अनुसूचित जनजातियों को विशेष संरक्षण प्रदान किया गया है।

आदिवासियों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

भारत में लगभग 10 करोड़ आदिवासी हैं, जो देश की कुल जनसंख्या का लगभग 8.6% हैं।

आदिवासी भारत के विभिन्न क्षेत्रों में रहते हैं, जिनमें जंगल, पहाड़ और रेगिस्तान शामिल हैं।

आदिवासी अपनी विशिष्ट संस्कृति, भाषा और परंपराओं के लिए जाने जाते हैं।

आदिवासी अक्सर गरीबी, भेदभाव और अन्य चुनौतियों का सामना करते हैं।

आदिवासी भारत की विविधता और समृद्धि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनके संरक्षण और विकास के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करना चाहिए।

आदिवासी शब्द का अर्थ और इतिहास Adivasi Ka Arth Kya Hota Hai

आदिवासी शब्द दो शब्दों “आदि” और “वासी” से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है “मूल निवासी”। यह शब्द किसी भौगोलिक क्षेत्र के उन निवासियों के लिए प्रयोग किया जाता है जिनका उस भौगोलिक क्षेत्र से ज्ञात इतिहास में सबसे पुराना सम्बन्ध रहा हो।

आदिवासी शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 18वीं शताब्दी में ब्रिटिश उपनिवेशवादियों ने किया था। उन्होंने इस शब्द का प्रयोग उन लोगों के लिए किया जो ब्रिटिश साम्राज्य के आगमन से पहले से ही भारत के विभिन्न क्षेत्रों में रह रहे थे।

आज भारत में आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति के रूप में जाना जाता है। भारतीय संविधान में अनुसूचित जनजातियों को विशेष संरक्षण प्रदान किया गया है।

आदिवासी समुदाय का संविधानिक नाम (Constitutional Name Of Tribal Community)

भारत में “अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes)” है। इसे संक्षेप में अ.ज.जा. या ST कहा जाता है।

संविधान सभा के समक्ष एक बड़ी समस्या उत्पन्न हुई जब विशेष प्रावधान को लेकर चर्चा हुई। इस विवाद में ठक्कर बापा और जयपाल सिंह के नाम विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। ठक्कर बापा एक आदिम समाज के सेवक थे और वे जनजातियों को “आदिवासी” नाम से पुकारते थे। संविधान सभा में, जयपाल सिंह ने महत्वपूर्ण ताकत के साथ यह दावा किया कि संविधान में “अनुसूचित जनजातियों” के स्थान पर “आदिवासी” शब्द का उपयोग होना चाहिए। इस विवाद के परिणामस्वरूप, संविधान में मूल अंग्रेज़ी शब्द “आदिवासी” का उपयोग नहीं हुआ, लेकिन इसके बजाय इस शब्द का उपयोग रूपान्तरण में किया गया। भारत सरकार द्वारा 1955 में प्रकाशित पुस्तक का शीर्षक “आदिवासी (हिन्दी और English)” है।

हिंदी में आदिवासी का अर्थ (Adivasi Meaning In Hindi) – Tribes Meaning In Hindi- आदिवासी का अर्थ होता है “अनुसूचित जनजातियों” या “आदिवासी”। सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के 2011 के फैसले में इस बारे में यह कहा गया है कि “आदिवासी लोग (अनुसूचित जनजाति या आदिवासी), जो संभवतः भारत के मूल निवासियों के वंशज हैं, लेकिन अब हमारी कुल आबादी का केवल 8% हैं”।

आदिवासियों की संस्कृति

आदिवासी अपनी विशिष्ट संस्कृति, भाषा और परंपराओं के लिए जाने जाते हैं। उनकी संस्कृति प्राकृतिक दुनिया के साथ घनिष्ठ संबंध पर आधारित है। आदिवासी अक्सर जंगलों, पहाड़ों और अन्य प्राकृतिक वातावरण में रहते हैं। वे प्रकृति के संरक्षक हैं और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होते हैं।

आदिवासी अपनी विशिष्ट भाषाओं और बोलियों के लिए भी जाने जाते हैं। इन भाषाओं और बोलियों को अक्सर “आदिवासी भाषाओं” के रूप में जाना जाता है। आदिवासी भाषाएं अक्सर लिखित रूप में नहीं होती हैं, और उन्हें मौखिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी पारित किया जाता है।

आदिवासी अपनी विशिष्ट परंपराओं और रीति-रिवाजों के लिए भी जाने जाते हैं। इन परंपराओं और रीति-रिवाजों में अक्सर धार्मिक अनुष्ठान, त्यौहार और नृत्य शामिल होते हैं। आदिवासी परंपराएं और रीति-रिवाज उनके समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।

आदिवासियों की कुछ विशिष्ट संस्कृति और मन्यताये इस प्रकार हैं:

धार्मिक अनुष्ठान: आदिवासी अक्सर धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करते हैं जो प्रकृति और उनके खत्री देवताओं की पूजा करते हैं।

त्यौहार: आदिवासी अक्सर त्यौहार मनाते हैं जो उनके समुदाय और संस्कृति को मनाते हैं। इनमे कुछ नवाय (New Food Prayer),दिहावु , इन्दोल , उवि (होली) , पूवा (बैल पोला)  जिसमे कई त्योहार शामिल है|  

नृत्य: आदिवासी अक्सर नृत्य करते हैं जो उनकी संस्कृति और परंपराओं को दर्शाते हैं जैसे की खुडी,दिहावु ,भगोरिया , गरबा, वियाव नाच गाना।

संगीत: आदिवासी अक्सर संगीत बजाते हैं जो उनकी संस्कृति और परंपराओं को दर्शाते हैं।

कला: आदिवासी अक्सर कलाकृतियों का निर्माण करते हैं जो उनकी संस्कृति और परंपराओं को दर्शाते हैं।

आदिवासियों के सामने आने वाली चुनौतियां कौनसी है 

आदिवासी bhai बेहेन अक्सर गरीबी, भेदभाव और अन्य चुनौतियों का सामना करते हैं। आदिवासियों को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य बुनियादी सुविधाओं तक  प्राप्त करने से रोकती है। कई बार भेदभाव आदिवासियों को रोजगार और अन्य अवसरों तक पहुंच प्राप्त करने से रोकता है।

आदिवासी के इन चुनौतियों में शामिल हैं:

गरीबी: इनके पास  सरकारी नोकरी नहि होती  हे आदिवासी अक्सर गरीबी में रहते हैं। गरीबी आदिवासियों को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच ने से रोकती है। वे खेती पर निर्बर रहते है लेकिन आज कल digitalization और internet  के वाजह हर कोइ शिक्षा प्राप कर सक्ता है |

भेदभाव: बडे शहरो मे आदिवासी अक्सर भेदभाव का शिकार होते हैं। भेदभाव आदिवासियों को रोजगार और अन्य अवसरों तक पहुंच प्राप्त करने से रोकता है। यह अन्हे कमजोर बनाता है | लेकिन भारत के सविधान के कारण आज उनको बराबरी का मोका मिलता है |

शिक्षा की कमी: शुरु से ही शिक्षा की कमी आदिवासियों को बेहतर जीवन की संभावनाओं तक पहुंच प्राप्त करने से रोकती अयि है। 

स्वास्थ्य देखभाल की कमी: आदिवासी अक्सर स्वास्थ्य देखभाल की कमी का सामना करते हैं। स्वास्थ्य देखभाल की कमी आदिवासियों को स्वस्थ जीवन जीने से रोकती है।

बुनियादी सुविधाओं की कमी: आदिवासी अक्सर बुनियादी सुविधाओं तक की कमी का सामना करते हैं। बुनियादी सुविधाओं की कमी आदिवासियों को एक बेहतर जीवन जीने से रोकती है।

पर्यावरणीय विनाश: आदिवासियों के क्षेत्रों में अक्सर पर्यावरणीय विनाश होता आया है। पर्यावरणीय विनाश आदिवासियों के जीवन और संस्कृति को प्रभावित करता है।

आदिवासी भारत की विविधता और समृद्धि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनके संरक्षण और विकास के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करना चाहिए।
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अनुसूचित जनजातियाँ (Scheduled Tribes)

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 366(25) में, जिन समुदायों को संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत ‘अनुसूचित जाति’ माना जाता है, उनका उल्लेख किया गया है। यह अनुच्छेद इस बारे में बताता है कि केवल वे समुदाय अनुसूचित जनजाति माने जाएंगे, जिन्हें राष्ट्रपति के द्वारा प्रारंभिक लोक अधिसूचना द्वारा या संसद के विधायिका में अनुसूचित जनजाति के तौर पर घोषित किया गया है।

आदिवासी राजनेता के रूप में हम जयपाल सिंह मुंडा को परिचित करते हैं, जिन्हें गांधी, नेहरू, जिन्ना और अम्बेडकर की तरह समय-समय पर याद नहीं किया गया। लेकिन वह एक दूरदर्शी आदिवासी दार्शनिक और राजनीतिज्ञ थे, जिनका नाम जयपाल सिंह मुंडा था। यह हमें दिखाती है कि हमारे ‘राष्ट्रपिता’, ‘राष्ट्र-निर्माता’ और ‘दलितों के बाबा साहब’ के बारे में जितना गंभीर था, वस्तुस्तर में जयपाल सिंह मुंडा के विचारों से पता चलता है, जो उन्होंने भारत में प्रस्तुत किए।

संविधान सभा में इस पर चर्चा हुई। यह पहली पुस्तक है जो हमें बताती है कि कैसे संविधान सभा के 300 ‘माननीय’ सदस्यों ने मिलकर ‘आदिवासी स्वायत्तता’ को कैसे छीन लिया। उसके खिलाफ, जयपाल सिंह मुंडा ने संविधान सभा में राजनीतिक लड़ाई लड़ी और भारतीय राजनीति में आदिवासीवाद की नींव रखी। 

आदिवासियों के संरक्षण और विकास के लिए कुछ उपाय इस प्रकार हैं:

इन्हे  विशेष संरक्षण प्रदान करना

इनके लिए शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच बढ़ाना

इन के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करना

आदिवासियों के पर्यावरणीय अधिकारों की रक्षा करना

आदिवासी भारत की एक अमूल्य धरोहर हैं। उनके संरक्षण और विकास के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करना चाहिए।

Frequently Asked Questions:

भारत में कुल कितने प्रतिशत आदिवासी है?

साल 2011 कि जनगणना, के अनुसार भारत में आदिवासी की प्रतिशत जनसंख्या लगभग देश की कुल जनसंख्या का 8.6 प्रतिशत है तथा कुल ग्रामीण जनसंख्या का 11.3 प्रतिशत है। आदिवासियो मे पुरषो की जनसंख्या 5.25 करोड़ तथा आदिवासी महिलाओं की जनसंख्या 5.20 करोड़ है।

आदिवासियों का धर्म कौनसा है?

भारत में रहने वाले आदिवासी समुदाय किसी लिखित धर्मग्रंथ के अनुसार किसी धर्म का पालन नही करते हैं। आदिवासी समुदाय अक्सर प्रकृति को मानते हैं वे प्रक्रति पूजक होते है और खत्री भगवान (अपने पुर्वोजो) को मानते है।

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