आदिवासियों के गुरु कौन है ? | Adivasiyo Ke Guru Kaun hai

जोहर साथियो, क्या आप जानना चाहते हैं कि आदिवासियों के गुरु कौन है? (Adivasiyon Ke Guru Kaun hai) तो आपको इस पूरी पोस्ट को पड़ना चाहिए क्योंकि आज हम  इस इंफॉर्मेटिव आर्टिकल में आदिवासी के गुरु पर चर्चा करने वाले  है। आदिवासियों के धर्म गुरु के बारे में सम्पूर्ण जानकारी पाने के लिए जुड़े रहे |

आदिवासियों के रियल गुरु कौन | Adivasiyo Ke Guru Kaun hai

आदिवासी जनजातीय समुदाय भारत के कोने कोने और विभिन्न क्षेत्रों में बसे हुए है और यह सभी आदिवासी एक समान होते है इनका रहने का बोलने का स्टाइल हर 10 कदम पर बदलने लगता है। सवाल कुछ इस तरह है की आखिर  – आदिवासियों के सच्चे गुरु कौन थे? इस सवाल का मतलब हुआकी  सभी आदिवासियों का गुरु कौन था।

आदिवासी जनजाति समुदाय सब्दो के ज्ञानी नही हुवा करते थे, ये तकनीकी ज्ञानी थे। जो अनुवांशिक के साथ साथ अपने माता अवं पिता और परिवार से सीखते आते थे।

आदिवासियों के रियल गुरु guru govind थे जीनोने आदिवासी समाज के हित में कई तरह के बड़े काम किए है और अपनी सम्पूर्ण लाइफ उनकी भलाई करने में लगा दी ऐसे आदिवासी गुरु को मेरा कोटि कोटि नमन |

गोविंद गुरु के बारे में | Govind Guru Ke Baremai

इन्हे गोविन्दगिरि या गोविन्द गुरु बंजारा (Govindgiri or Govind Guru) भी कहा जाता था जिनका का जन्म 20 दिसम्बर साल 1858 को डूंगरपुर जिले के बेड़सा गांव में एक गैर-आदिवासी (Non-Tribal) गोवारिया जाति (Gowaria Caste) के एक बंजारा (Banjara) परिवार में हुआ था। गोविन्द गुरु ने साल 1903 में एक संगठन बनाया जिसका नाम था ‘संप सभा’। ‘संप’ का अर्थ होता है मेल-मिलाप और बुराईयों का त्याग करना।

‘मेल-मिलाप’ का यह कार्य गोविंद गुरु के नेतृत्व में आगे बढ़ने लगा और राजस्थान और गुजरात के आदिवासी बहुल सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे की मानगढ़ (Mangarh) में  इसका केन्द्र बन गया था । इस केंद्र ने आदिवासियों को अपनी संस्कृति के बारे में जागरूक किया था। गोविंद गुरू को मानने वाले लोग प्रकृति पूजक हुआ करते थे। गोविन्द गुरु एक सामाजिक और धार्मिक सुधारक आदिवासी गुरु थे |

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गोविन्द गुरु की पहली गिरफ़्तारी और रिहाई कब हुवी 

साल 1907 के बाद गोविन्द गुरु की कारनामो का स्थानीय  राज्य के अधिकारियों और शराब ठेकेदारों से विरोध हुआ था और डूंगरपुर राज्य ने उन्हें साल 1912 के अंत तक 1913 की शुरुआत में गिरफ्तार कर लिया गया था । राज्य ने उस समय  उन पर अपने अनुयायियों को धोखा देने का आरोप लगाया था , उनकी बचत जब्त कर ली गई  और उनकी पत्नी और बच्चों को कैद करके उनके आंदोलन को रोकने के लिए दबाव डाला। हालाँकि, उन्हें अप्रैल 1913 में बिना मुकदमा चलाए रिहा कर दिया गया और डूंगरपुर राज्य छोड़ने का आदेश दिया गया।


Image Credit : wikipedia

गोविंद गुरु की मृत्यु

गोविंद गुरु ने आदिवासियों (Tribals) को एक साथ लाने और उनको संगढित करने का कार्य किया था । जिसे देखकर डूंगरपुर (Dungarpur) का तत्कालीन राजा इतना डर गया कि उसने अंग्रेज सरकार से तुरंत  मदद मांगी। 17 नवम्बर साल 1913 को मानगढ़ की पहाड़ी पर अंग्रेज़ सेना ने गोलिया बरसाकर लगभग 1500 निहत्थे आदिवासियों भाई बहनो की हत्या कर दी।

जिसे मानगढ़ नरसंहार कहते है और गोविंद गुरु को अंग्रेजों ने बंदी बना लिया। 1923 में गोविंद गुरु को इस शर्त पर छोड़ा गया कि वे इस क्षेत्र में कभी  प्रवेश नहीं करेंगे। 30 अक्टूबर साल 1931 को गोविंद गुरु (Govind Guru) की मृत्यु हो गई।

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पीएम मोदी ने किया था याद

Govind Guru Mangarh Dham को  पीएम मोदी ने अकबर जब राजस्थान में स्थित मानगढ़ धाम में एक जनसभा को संबोधित करते हुवे गोविन्द गुरु को याद किया था । इस दौरान उन्होंने आदिवासियों के नायक गोविंद गुरु को याद किया और कहा के “ जब हमारे भारत में विदेशी हुकूमत के खिलाफ आवाज़ें बुलंद हो रही थीं तब श्री गोविन्द गुरु भील आदिवासियों के में शिक्षा की अलख जगा रहे थे और उनके अंदर देशभक्ति की ऊर्जा भी  भर रहे थे

मानगढ़ धाम गोविन्द गुरु और मातृभूमि के लिए प्राण न्योछावर करने वाले सैकड़ों आदिवासियों के बलिदान का प्रतीक है

आखिर में

दोस्तो, में आशा करता हु की इस आर्टिकल – आदिवासियों के गुरु कौन है ? (Adivasiyo Ke Guru Kaun hai) गोविंद गुरु कौन है? आदिवासियों को अपनी संस्कृति के बारे में जागरू करना और उनको समजाना, राजस्थान और गुजरात के सीमावर्ती क्षेत्र मानगढ़ में आदिवासियों नरसंहार पर चर्चा की आपको हमारी यह पोस्ट  पसंद आई हो तो सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करे और नीचे कमेंट कर अपना सुझाव जरूर दे। धन्यवाद जय जोहार जय आदिवासी 

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