दोस्तों भाषा हमारे जीवन की वो अनमोल देन है जिसके बिना ना हम कुछ भाव या जानकारी साझा कर पाते और नाही कुछ समज पाते | दो लोगो के बिच अपने विचारो का आदान प्रधान करने के लिए हमें बोलने की जरुरत होती है | जिसमे हम अपने लोकल लैंग्वेज यानि के भाषा का प्रयोग करते है |
मध्य प्रदेश राज्य भारत के मध्य भाग में स्थित है।यहां पर अधिकांश लोग हिन्दी बोलते और लिखते हैं। जैसे की हमारा मध्य प्रदेश जिसे ह्रदय प्रदेश से भी जाना जाता है यहाँ पर हिंदी भाषा सबसे अधिक मात्रा में बोली जाती है
आज हम इस विषय के अंतर्गत, हम मध्य प्रदेश की भाषाओं (madhya pradesh ki bhasha in hindi), राज्य की आधिकारिक भाषा, प्रमुख बोलियाँ (madhya pradesh dialect), उनकी उत्पत्ति और बोलने वाले क्षेत्रों के बारेमे जानने वाले है।
मध्य प्रदेश में कई सारे पर्यटन स्थल के साथ-साथ कई धार्मिक स्थल भी मौजूद हैं, जहां कई सारे देसी और विदेशी पर्यटक आते हैं।
वहीं यह पर्यटक यहां घुमते हुए यहां की भाषा भी आसानी से सीख जाते हैं। इस राज्य में कई भाषाएं बोली जाती हैं।
क्या आपको पता है कि मध्य प्रदेश में कौन सी भाषा बोली जाती है? (madhya pradesh ki boliyan kaun kaun si hai) चलिए, इस ब्लॉग में विस्तार से जानते हैं कि मध्य प्रदेश में कौन सी भाषा बोली जाती है।
बघेलखंड, सतपुड़ा व नर्मदा घाटी में बोली जाती है। बुंदेली पश्चिमी हिन्दी की बोली है और मध्य प्रदेश के मध्यवर्ती व पश्चिमोत्तर ज़िलों में बोली जाती है।
भाषा की जरुरत क्यों होती है?
भाषा हमारे मानव समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती है। भाषा के माध्यम से ही हम लोग एक दूसरे से जुड़े रहते है
संचार करना : भाषा संचार के लिए प्रमुख उपकरण है, जो व्यक्तियों को विचार और भावनाओं को प्रभावी रूप से संवहनीय बनाने में मदद करती है।
सामाजिक अंतरक्रिया: भाषा सामाजिक अंतरक्रियाओं को सुनिश्चित करने के लिए सेवानिवृत्त करने में व्यक्तियों को सक्षम बनाती है, लोगों को बातचीत में शामिल होने, संबंध बनाने और अन्य लोगो के साथ मदद करने की संभावना प्रदान करती है।
सांस्कृतिक पहचान: भाषा अपने सांस्कृतिक पहचान से घनिष्ठ रूप से जुड़ी होती है, क्योंकि यह किसी समुदाय या एक जाति समूह की अनूठी विरासत, परंपराओं और मूल्यों को दर्शाती है।
शिक्षा: शिक्षा के लिए भाषा अत्यधिक आवश्यक होती है, जो ज्ञान को स्थानांतरित करने, कौशल विकसित करने और नागरिक विचार को पोषित करने का माध्यम होती है।
व्यापार और वाणिज्य को सुविधाजनक बनाना में मदद : भाषा व्यापार और वाणिज्य को सुविधाजनक बनाने में सहायक होती है, क्योंकि इसके माध्यम से व्यक्तियों और व्यापारों को समझौतों पर परामर्श, उत्पादों का प्रचार करने और लेन-देन करने की क्षमता प्राप्त होती है।
सभी मनुष्य समय के साथ साथ अलग-अलग समय पर बात करना सीखते हैं, और जब कोई बच्चा भाषा का इस्तेमाल करना शुरू कर देता है तो यह देखना इस बात का संकेत हो सकता है कि उनका विकास कितनी अच्छी तरह हो रहा है।
भाषा मानव संचार का अमूल्य हिस्सा है और इससे एक व्यक्ति इशारों, भावों, स्वरों और भावनाओं, और विचारों को प्रदर्शित करता है।
मध्य प्रदेश की राज भाषा कौन सी है ?
(Which is the official language of Madhya Pradesh)
मध्य प्रदेश की अपनी आधिकारिक भाषा हिंदी है (madhya pradesh ki language) याने की भारत में अन्य राज्य और संग राज्य के साथ राजकीय कार्यों हेतु हिंदी का आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है और सेंट्रल गोवेर्मेंट के साथ इंग्लिश भाषा का उपयोग किया जाता है
हलाकि मध्य प्रदेश में कई राज्य के लोग हिंदी के अलावा जैसे मराठी, उर्दू, पंजाबी, तमिल जैसे कई भाषा एवं बोलिया बोलते है |
राजभाषा अधिनियम (1963) के अनुसार, मध्य प्रदेश गैर-हिंदी राज्यों के साथ कम्यूनिकेश के प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी का उपयोग करता है।
मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार के साथ आपस में कम्युनिकेशन के लिए इंग्लिश लैंग्वेज के बजाय हिंदी भाषा को प्रयोग करने के लिए आपस में सहमत है
मध्य प्रदेश की बोलियाँ ( Dialects of Madhya Pradesh )
निचे कुछ अन्य मध्य प्रदेश की प्रमुख बोलिया (madhya pradesh ki pramukh boliyan) है जिन्हे हम एक एक करके जानेंगे|
बुंदेली
बुंदेली बोली शौरसेनी अपप्रंश से जन्मी पश्चिमी हिन्दी की एक प्रमुख बोली है। इसका नामकरण जॉर्ज ग्रियर्सन ने किया था।
प्रदेश में इस बोली का क्षेत्र अन्य बोलियों की तुलना में अधिक है। बुंदेलखंड के साथ दक्षिण मध्य प्रदेश के ज़िलों, यहाँ तक कि मध्य प्रदेश की सीमा से सटे महाराष्ट्र के जिलों में भी इसका प्रभाव है।
शुद्ध बुँदेली टीकमगढ़, सागर, नरसिंहपुर में तथा इसकी उपबोलियाँ, जैसे- पंवारी-ग्वालियर, दतिया में, लोधांती-हमीरपुर में तथा खटोला- पन्ना, छतरपुर, दमोह में बोली जाती हैं।
बघेली
पूर्वी हिन्दी की बघेली बोली का विकास अर्द्धमागधी अपप्रंश से हुआ है। इस बोली को बघेलखंडी, रिमही और रिवई भी कहा जाता है।
बघेलखंड के रीवा, शहडोल, सीधी, सतना जिलों में विशुद्ध बघेली बोली जाती है।बघेली की कुछ उपबोलियाँ भी हैं, फतेहपुर, बोंदा और हमीरपुर में यमुना नदी के आसपास बोली जाते वाली तिरहरी, बाँदा जिले की केत और नगेन नदियों के मध्यक्षेत्र की बोली महोग़ तथा रीवा और मंडला की गोंड बोली को बघेली की उपबोली मानाजाता है। रीवा महाराज विश्वनाथ सिंह ने परमधर्म विजय, विश्वनाथ प्रकाश बघेलीं में लिखी हैं।
मालवी
मालवी मालवा क्षेत्र की बोली है। राजस्थान की हड़ौती बोली से प्रभावित इस बोली का विकास शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ है।
विशुद्ध मालवी इंदौर, उज्जैन, देवास, धार, रतलाम जैसे क्षेत्रों में बोली जाती है। इसके अलावा भोपाल, होशंगाबाद, गुना, नीमच, मंदसौर आदि में भी मामुली परिवर्तन के साथ यह बोली जाती है।
मालवी ध्वनि और रूप की दृष्टि से पश्चिमी हिन्दी के निकट है, जबकि आत्मा से मारवाड़ी के।
डॉ.के.एल. हंस ने इसे ‘पश्चिमी हिन्दी’ तथा धीरेंद्र कुमार ने इसे दक्षिणी राजस्थानी कहा।
मालवी की उपबोलियाँ हैं- सोधवाड़ी उमठवाडी, राड़ी। कुछ विद्वान निमाड़ी को भी मालवी की एक उपबोली मानते हैं।
ब्रज भाषा
मूलतः उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र (मथुरा) की स्थानीय बोली है। यह पश्चिमी हिन्दी की प्रमुख बोली है।
साहित्य सृजन की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। सूरदास, रसखान, मीराबाई ब्रज भाषा के शिरोमणि रचनाकार है। यह बोली मध्य प्रदेश के मुख्यतः ग्वालियर, भिंड, मुरैना मे बोली जाती है।
तुलसीदास जी ने अवधी में लिखा किंतु ‘विनय पत्रिका’ ब्रजभाषा में रची है।
भदवरी
यह मूलतः कहावतों में व्यक्त होने वाली बोली है। ऐसा माना जाता है कि देवगण जिस भाषा का उपयोग करते थे, उसी का अपप्रंश भदवरी है। यह मध्य प्रदेश के भिंड, ग्वालियर, मुरैना मे बोली जाती है। उल्लेखनीय है कि भिंड ज़िले के अटेर, भिंड महगाँव का क्षेत्र ‘भदावर धार’ नाम से जाना जाता है। यहाँ की बोली भदावरी कहलाती है।
मध्य प्रदेश में जनजातीय बोलियाँ कौन कौन सी है ? (Tribal Dialects in Madhya Pradesh)
अपने मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा आदिवासी वर्ग की आबादी है. राज्य में लगभग 46 पंजीकृत अनुसूचित जनजातियाँ हैं। इन जनजातियों की संस्कृतियाँ समृद्ध हैं और ये विभिन्न तरह की बोलियाँ बोलते हैं। कुछ महत्वपूर्ण आदिवासी और जनजातीय बोलियों (madhya pradesh ki tribal boliyan kaun kaun si hai) का उल्लेख नीचे दिया गया है।
Bhili
भील जनजाति द्वारा बोली जाने वाली भिलोड़ी मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के पश्चिमी और मध्य क्षेत्रों में बोली जाती है। जिनमें भील, भिलाला, बरेला और पटेलिया जनजातियाँ शामिल हैं। यह इंडो-आर्यन भाषाओं के भील भाषा उपसमूह से संबंधित है।
क्षेत्र— सेंधवा, बड़वानी,रतलाम ,धार ,झाबुआ, खरगोन एवं अलीराजपुर आदि
Gondi
गोंडी भाषा गोंड जनजाति द्वारा बोली जाती है, जो भारत के सबसे बड़े आदिवासी समुदायों में से एक है। यह मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के पूर्वी और मध्य भागों में बोली जाती है। गोंडी को द्रविड़ भाषा माना जाता है।
क्षेत्र— छिंदवाड़ा ,सिवनी ,बालाघाट मंडला ,डिंडोरी, होशंगाबाद आदि
Korku
कोरकू मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में कोरकू जनजाति द्वारा बोली जाती है, खासकर बैतूल, खंडवा और छिंदवाड़ा जिलों में। यह द्रविड़ भाषा परिवार से संबंधित है।
क्षेत्र — बैतूल ,होशंगाबाद, छिंदवाड़ा, खरगोन आदि
Mavasi
मावासी भाषा, जिसे “मावसी” भी कहा जाता है, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के विभिन्न क्षेत्रों में बोली जाती है। यह भाषा विभिन्न जनजातियों और अन्य समुदायों के लोगों द्वारा बोली जाती है और इसमें उनकी सांस्कृतिक विरासत, जीवनशैली और सामाजिक प्रथाओं का विवरण होता है। यह भाषा उन लोगों के बीच प्रमुख संचार का माध्यम भी है जो इसे बोलते हैं।
Barela
बारेला मध्य प्रदेश के मध्य और उत्तरी भागों में बरेला जनजाति द्वारा बोली जाती है। यह भील भाषा की एक बोली है और इसका भिलोड़ी से गहरा संबंध है।
Sahariya
सहरिया भाषा सहरिया जनजाति द्वारा बोली जाती है, जो मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में पाई जाती है।
क्षेत्र— श्योपुर ,शिवपुरी ,ग्वालियर
Nahal
नहल जनजाति की बोली भाषा को “नहली” कहा जाता है | भाषा मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के उत्तरी और मध्य भागों में पाई जाती है। इसके अलावा, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी इस भाषा के बोलने वाले समुदाय हैं।
Baigani
बैगानी बैगा जनजाति द्वारा बोली जाती है, जो मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के मंडला, बालाघाट और डिंडोरी जिलों में रहते हैं। इसे गोंडी की एक बोली के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
Nimadi
पश्चिमी हिन्दी की निमाड़ी बोली का उद्भव शौरसेनी अपप्रंश से हुआ है। पश्चिमी मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र खरगौन, खंडवा, बुरहानपुर और बड़वानी ज़िलो में निमाड़ी बोली प्रचलित है।.
निमाड़ी में लोक साहित्य प्रचुर मात्रा में रचा गया। जॉर्ज ग्रियर्स़न ने निमाड़ी को दक्षिणी हिन्दी कहा।
गौरीशंकर शर्मा, रामनारायण उपाध्याय निमाड़ी भाषा के प्रमुख साहित्यकार हैं।
डॉ. श्री राम परिहार ने ‘निमाड़ी साहित्य का इतिहास’ नामक पुस्तक लिखी।
आखिर में
हम ने जाना की (madhya pradesh ki pramukh boliyan kaun kaun si hai) और किस क्षेत्र में यह भाषाएँ बोली जाती है वैसे तो आज कल के आधुनिक ज़माने में हम लोग अक्सर हिंदी और इंग्लिश भाषा का ही इस्तेमाल करते है
लेकिन हमें नहीं भूलना चाहिए की भारत में हर दस कदम की दुरी पर आपको नए लोग एवं नई भाषाएँ देखने और सुसनने को मिलेगी | मै आशा करता हु आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आयी होगी हमें कमेंट में जरूर बताए धन्यवाद |
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