रावण की पुजा कहा होती है

जय जोहर जय आदिवासी दोस्तों आप सभी का एक बार फिर से हमारे इस पोस्ट पर आने के लिए स्वागत है दोस्तों आप सभी को रामायण की कथा से भलीभांति अवगत होंगे

राम जी विष्णु भगवान के परम अवतार थे उन्होंने धरती पर राक्षसों का वध करने के लिए जन्म लिया था हर युग में जब पाप सत्य से ज्यादा बढ़ जाता है तब भगवान उनके भक्तों की सुरक्षा करने के लिए समय पृथ्वी पर अवतार लेते हैं

भगवान राम जब उन्हका  चौदह वर्ष का वनवास काट रहे थे तब एक दिन सीता जी को रावण अपहरण कर घर ले गए थे रावण को पूरी तरह से हमारे पुराणों पर एक राक्षस प्रजाति का इंसान बताया गया है

तो दोस्तों आप यह सोच रहे होंगे कि मैं आपको यह सब कुछ क्यों बता रहा हु आप सभी दर्शकों को तो पहले से ही पता है लेकिन दोस्तों आपको यह नहीं बताया कि भारत में कुछ ऐसे अनोखे मंदिर भी है जहां भगवान राम नहीं बल्कि रावण का पूजा ( ravan ki puja kahan hoti hai ) पाठ किया जाता है

तो आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे रावण की पूजा ( ravan ki puja kahan hoti hai) पुरे भारत में कहा कहा पर की जाती है 

इन्हे जगह पर की जाती है रावण की पूजा ( ravan ki puja )

  • कर्नाटक के कोलार जिले में
  • मध्यप्रदेश में स्थित मंदसौर जिले में
  • राजस्थान के जोधपुर जिले में
  • हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में
  • उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में
  • मध्य प्रदेश के उज्जैन में
  • महाराष्ट्र के अमरावती और गढ़चिरौली जिले में
  • आंध्रप्रदेश के काकिनाडा क्षेत्र में

में आपको इस पोस्ट में  इन्ही पांच जगहों के बारे में बताऊंगा यानी कि भारत के वैसे अनोखे मंदिर के बारे में बताऊंगा जहां रावण का पूजा ( ravan ki puja kahan hoti hai ) पाठ किया जाता है और इस पोस्ट के लास्ट में यानि के  अंत में आपको राजा रावण और आदिवासियों के कौन से ऐसे समुदाय है जो राजा रावण को पूजता है

यानी के आदिवासी से जुड़ा हुआ यह राज  है जिसमें राजा रावण और आदिवासियों का संबंध क्या है यह पोस्ट बहुत ही ज्ञानपूर्वक और  इंटरेस्टिंग होने वाली है तो प्लीज इस को पढ़े! इसी तरह के पोस्ट हमेशा इस वेबसाइट पर सबसे पहले पड़ने के लिए हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब कर ले और आर्टिकल पसंद आये तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करते रहे । 

आइए जानते हैं ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में सबसे पहले नंबर पर बात करें तो दोस्तों

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कर्नाटक के कोलार जिले में

कर्नाटक में मनाया जाता है लंकेश्वर महोत्सव

भारत के दक्षिणी राज्य कर्नाटक के कोलार जिले में भी भारत की कुछ समुदाई लोग उनके फसल महोत्सव के दौरान रावण की पूजा करते अये हैं। ये लोग रावण की पूजा इसलिए भी करते हैं, क्योंकि वह भगवान शिव का सच्चा  भक्त हुवा करता था। कर्णाटक के लंकेश्वर महोत्सव में भगवान शिवजी  के साथ रावण की प्रतिमा भी जुलूस की शोभा बढ़ाने का काम करती  है। इसी राज्य के मंडया जिले के मालवल्ली तालुका में रावण को समर्पित एक मंदिर भी बना हुवा है।

मध्यप्रदेश में स्थित मंदसौर जिले में

दूसरे नंबर पर मध्यप्रदेश में स्थित मंदसौर जिले में एक गांव है जहां रावण का मंदिर है यहां पर राक्षसराज रावण की पूजा पाठ की जाती है और बताया जाता है कि 

यह राज्य में रावण का पहला मंदिर इसी राज्य में एक जिले का नाम है मंदसौर कहा जाता है कि मंदसौर रावण की पत्नी का मायका है जिस वजह से इस शहर का नाम मंदसौर पड़ा इस जिले में खानपुर इलाके में रावण की एक विशाल प्रतिमा रावण पुण्डी नाम के क्षेत्र में इसलिए रावण को यहां का दामाद भी कहा जाता है

राजस्थान के जोधपुर जिले में 

अब बात करते है दोस्तों 3 नंबर पर आपको यह जानकर हैरानी होगी दोस्तों कि राजस्थान में मंदोदरी और रावण की शादी रचाई गए थी  इसलिए यहां पर मंदोदरी नाम की जगह पर जो जोधपुर में स्थित है  वहां पर विवाह उनका हुआ था यहां पर रावण के विशाल मूर्ति मौजूद है एवं चांदपोल नामक क्षेत्र में रावण का एक भव्य मंदिर भी मौजूद है 

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हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में

चलिए बात करते हैं चौथे नंबर पर यानी कि हिमाचल प्रदेश |  हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के वैजनाथ इलाके जो की शिवनगरी नाम से बहुत प्रसिद्ध है कहा जाता है कि इसी स्थान पर रावण ने भगवान शिव की घोर तपस्या करके मोक्ष पाने का वरदान प्राप्त किया था यहां पर रावण को बहुत श्रद्धा भाव से पूजा कि जाती है

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में

अब बात करते हैं पांचवें नंबर पर यानी के आखिरी उत्तर प्रदेश | उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के मई रावण का भव्य मंदिर मौजूद है 

यह मंदिर का निर्माण कई वर्ष पहले किया गया था यहां पर हर साल सिर्फ  दशहरे के दिन सुबह पाठ खोले जाते हैं और भक्तों की भीड़ उमड़ जाती है और शाम को पट  एक साल के लिए बंद किया जाता है और यहां पर रावण को शक्ति का प्रतीक मानकर पूजा अर्चना की जाती है श्रद्धालु तेल के दीये जलाकर अपनी अपनी मनोकामनाएं यहां हर साल पूरी करने आते हैं

मध्य प्रदेश के उज्जैन में

मध्य प्रदेश के उज्जैन जिसे प्राचीन में उजैनी कहते थे इस जिले के चिखली ग्राम में ऐसी अजीबो गरीब मान्यता है कि यदि रावण को पूजा नहीं गया तो पूरा क पूरा  गांव जलकर भस्म हो जाएगा। इसीलिए इस गांव में कभी भी  रावण का दहन नहीं किया जाता, बल्कि दशहरे पर रावण की पूजा पाठ होती है। गांव में ही रावण की विशालकाय मूर्ति स्थापित की गई है।

महाराष्ट्र के अमरावती और गढ़चिरौली जिले में

महाराष्ट्र के अमरावती और गढ़चिरौली जिले में कोरकू और गोंड आदिवासी जनजाति समुदाय  रावण और उसके पुत्र मेघनाद को अपना देवता भी मानते हैं। वे अपने एक खास पर्व फागुन के समय आने  पर वे इसकी विशेष पूजा करते हैं।

आंध्रप्रदेश के काकिनाडा क्षेत्र में

भारत के दक्षिणी राज्य आंध्रप्रदेश के काकिनाड नामक स्थान पर भी रावण का मंदिर बना हुआ है, जहां भगवान शिव के साथ उसकी भी पूजा की जाती है। यहां पर खास कर मछुआरा समुदाय रावण का पूजा पाठ  करता है।

तो दोस्तों ये थी वह मंदिर जहां भगवान राम नहीं बल्कि रावण की भी पूजा की जाती है  जो कि भारत में ही स्थित है

यह आदिवासी समुदाय राजा रावण को पूजती है

तो दोस्तों  अब मैं आपको बताऊंगा कि राजा रावण को आदिवासी समुदाय की कोनसी ऐसी जाती है जो की  राजा रावण को वे पूजते  हैं और उनकी दशहरे के दिन यानि की रावण की मृत्यु  के दिन वह एक पूजा करते हैं उस पूजा का नाम क्या है तो चलिए दोस्तों इसके बारे में भी जानकारी लेते हैं आदिवासी मान्यता के अनुसार वह लोग रावण को अपना पूर्वज मानते हैं और यह आदिवासी समुदाय के गोंड लोग राजा रावण को अपना पूर्वज मानते और उनके कई तथ्य ही सही है 

क्योंकि पूरे देश में जहां सारे धर्म के लोग यहां तक कि ब्राह्मण और तमिल दशहरे के दिन रावण दहन करते हैं वहीं पूरे हिंदुस्तान के आदिवासी समुदाय ज्यादातर गोंड समुदाय के  लोग उस दिन अपने वीर राजा रावण की शहादत का गम मनाते हैं और वह एक पूजा करते है जिसे गोंगो पूजा कहते हैं और दोस्तों आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आदिवासियों में दशानन का मतलब होता है राजा 

आदिवासियों के पूर्वज महापुरुष भी राजा रावण को अपना पूर्वज मानते थे और उन्हें आदिवासी समुदाय के गोंड जनजाति के सदस्य मानते थे और उनको 7 गोत्र धारी मानते थे और उन्हें राजा रावण मंडावी कहकर अभी भी बुलाया जाता है यानी कि दोस्तों आदिवासी समाज के गोंड समुदाय के लोग राजा रावण को राजा रावण मंडावी के नाम से बुलाते हैं और उनके नाम पर वे दशहरे के दिन एक पूजा करते है जिसे गोंगो कहा जाता है | 

आखिर में

तो दोस्तों आज के इस इन्फॉर्मेशनल रावण की पूजा कहा होती है ( ravan ki puja kahan hoti hai ) पोस्ट में बस इतना ही अगर आपको ये अच्छी लगे तो दोस्तों अपने दोस्तों के साथ शेयर करे और हमें कमेंट करें

दोस्तों अपना ख्याल रखें जय आदिवासी जय जोहर 

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