मध्य प्रदेश के प्रमुख जनजातीय व्यक्तित्व (amous tribal personalities of mp india)

जोहर दोस्तों, आज हम इस (famous tribal personalities of madhya pradesh india) ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से जानेगे हमारे भारत के ह्रदय प्रदेश कहे जाने वाले मध्य प्रदेश से निकल कर आने वाले प्रचलित आदिवासी व्यक्ति (famous tribal person in hindi) के बारेमे जिन्होने भारत के इतिहास में अपने आदिवासी समाज का नाम रोशन किया है

हमारे आदिवासी समुदाय में आज कल के युवा युवती सोशल केवल सोशल मीडिया पर एक्टिव होकर समाज के लिए अपना योगदान देते रहते है ठीक वैसे ही उस ज़माने में बिना इंटरनेट, वाईफाई जैसे आधुनिक संसाधनों बगैर हमारे हक़ के लिए इन्होने अपनी जान दी बिना देरी करे चलिए जानते है important tribal personalities of madhya pradesh के बारेमे

Famous Adivasi Tribal Personalities of Madhya Pradesh India

पद्मश्री भूरी बाई

मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के पिटोल गाँव में साल (1962) में जन्मी भूरी बाई आदिवासी समूह भील समुदाय (adivasi bhil community) से आती हैं।

भूरीबाई अपनी चित्रकारी के लिये कागज और कैनवास का उपयोग करने वाली प्रथम भील कलाकार हैं। ये भीलों की प्राचीन कला पिथोरा आर्ट्स की विशेषज्ञ हें।

इन्हें मध्य प्रदेश सरकार से शिखर सम्मान (1986-87), अहिल्या सम्मान (1998) आदि प्राप्त हो चुके हैं।

उनकी कलाकृतियाँ भित्ति चित्रों, मिट्टी के बर्तनों, और कपड़ों पर चित्रकारी के रूप में देखी जा सकती हैं।

उनकी कलाकृतियाँ आदिवासी जीवन, संस्कृति और परंपराओं को दर्शाती हैं।

इन्हे 9 November 2021 में कला के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

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Image source wikipedia

आदिवासी महिलाओं के लिए पद्मश्री भूरी बाई आदिवासी कला का एक प्रतीक हैं।

उनकी कलाकृतियाँ न केवल हमारी आदिवासी संस्कृति की सुंदरता को दर्शाती हैं, बल्कि महिला सशक्तिकरण का भी संदेश देती हैं।

भीमा नायक

भीमा नायक भील जनजाति के प्रमुख नेता थे। भीमा नायक को निमाड़ का राँबिनहुड़ कहा जाता था, इनकी माताजी का नाम सुरसी बाई भील था | भीमा नायक की जयंती हर साल 15 अगस्त को मनाई जाती है।

इन्होंने बड़वानी ज़िले के सेंधवा क्षेत्र में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया था। भीमा नायक का जन्म 1840 में पश्चिमी निमाड़ के पंचमोहली गाँव में हुआ था।

कहा जाता है की साल 1857 में उस समय जब तात्या टोपे निमाड़ क्षेत्र आए थे तो उनकी मुलाकात भीमा नायक से हुई थी। उस दौरान भीमा नायक ने उन्हें नर्मदा पार करने में मदद की थी।

shahid bhima nayak अंबापानी के युद्ध (अप्रैल 1858) में अंग्रेजों कौ टुकड़ी को हराया था।

वीर भीमा नायक को पकड़ने के लिए तत्कालीन बड़वानी के राजा ने अंग्रेज़ो से गुहार लगाई कि वह भीमा नायक , उम्मेद नायक समेत अन्य भील नायकों को पकड़ ले bhima nayak अपने ही करीबी की मुखबिरी से धोखे से पकड़ा गया था

अंग्रेज सरकार द्वारा उनके खिलाफ दोष सिद्ध होने पर उन्हें पोर्ट ब्लेयर व निकोबार में रखा गया था। भीमा नायक की मृत्यु 29 दिसंबर 1876 को पोर्ट ब्लेयर में हुई थी

भीमा नायक (bhima nayak jayanti) की जयंती हर साल 15 अगस्त को मनाई जाती है। उनके नाम पर बरवानी में कॉलेज बनी है जिसका नाम shaheed bhima nayak govt pg college chiil college barwani है

तात्या भील ( टंट्या भील )

ऐसा माना जाता है कि टंट्या भील का जन्म उस समय के मालवा प्रांत के निमाड़ के इलाके में 1824-27 ई. के आस-पास हुआ था।

बचपन से ही उनका जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा। जमींदारों और पटेलों के शोषण ने उन्हें विद्रोही बना दिया। तात्या ने आस-पास के सभी भीलों को संगठित किया और उन ज़मींदारों एवं पटेलों के खिलाफ विद्रोह कर दिया।

सामान्य नागरिकों के सामने उनकी छवि रॉबिन हुड की तरह थी, वह अमीरों के पैसे लूटकर गरीबों की सहायता करते थे। तात्या भील कई बार जेल भी गए।

जेल से आने के बाद उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लोगों को संगठित किया और अपनी छापामार युद्ध प्रणाली के तहत अंग्रेज़ी सरकार को काफी क्षति पहुचाई। 1889 में अंग्रेजी सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर फाँसी दे दी। इस प्रकार टंट्या भील एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में शहीद हो गए।

गंजन सिंह कोरकू

अंग्रेजी सरकार की शोषणकारी नीतियों के विरुद्ध कई जनजातियों ने विद्रोह किया था, उसी में कोरकू जनजाति भी एक है।

कोरकू जनजातियों ने 1930 ई. में जंगल सत्याग्रह किया, जिसका नेतृत्व गंजन सिंह कोरकू ने ही किया था। जब पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने पहुँची तो वे आदिवासियों के सहयोग और अपनी चालाकी से पुलिस को चकमा देकर भाग गए तथा | जंगलों में छुपकर जीवन भर आंदोलन करते रहे।

मध्य प्रदेश के अन्य व्यक्तित्व (Other Personalities of Madhya Pradesh)

तानसेन

संगीत सम्राट तानसेन भारत के एक महान गायक एवं मुंगलकाल के प्रमुख संगीतकार थे। तानसेन के प्रारंभिक जीवन से संबंधित जानकारियों में काफी विवाद है। मध्यकाल में 16 वीं शताब्दी की शुरुआत में उनका जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर ज़िले के बेहट गाँव में हुआ था।

उनका वास्तविक नाम रामतनु पांडेय था। अकबर के दरबार में आने से पहले तानसेन रीवा के राजा रामचंद्र के दरबार की शोभा बढ़ाते थे। मुगल बादशाह अकबर ने उन्हें अपने नवरत्नों में शामिल किया। उन्होंने संगीत के कई रागों की रचना की जिनमें मियाँ की मल्हार, ध्रुपद गायन, दीप राग, मेघ मल्हार अधिक प्रसिद्ध है।

तानसेन ने संगीतसार, रागमाला, श्रीगणेश स्तोत्र नामक तीन संगीत ग्रंथों की रचना भी की।1586 ईं. (कुछ ग्रोतों के अनुसार 1589 ई.) में तानसेन की मृत्यु हो गई। उनकी समाधि उनकी इच्छानुसार उनके गुरु मुहम्मद गौस खाँ की समाधि के पास ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में स्थापित की गयी है |

पं. रविशंकर शुक्ल

पं. रविशंकर का जन्म अगस्त 1877 में सागर, मध्य प्रदेश में हुआ था। उनके पिता पं. जगनाथ शुक्ल और माता श्रीमती तुलसी देवी थीं।

पं. रविशंकर शुक्ल ने 1906 ई. में रायपुर में वकालत प्रारंभ को तथा राष्ट्रीय आंदोलन से भी जुड़े रहे। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सक्रिय सदस्य थे। वे 1937 ई. के प्रांतीय चुनाव में विजयी उम्मीदवार रहे और डॉ. खरे द्वारा त्यागपत्र देने के बाद अगस्त 1988 से नवंबर 1939 तक मध्य प्रांत के प्रधानमंत्री रहे।

1 नवंबर 1956 को मध्यप्रदेश राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में इनको चुना गया। इनका निधन दिसंबर 1956 में दिल्ली में हुआ था। पं. रविशंकर शुक्ल को “नए मध्य प्रदेश के पुरोधा’ के रूप में स्मरण किया जाता है।

शंकर दयाल शर्मा

भारत के नौवें राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा का जन्म 9 अगस्त 1998 को भोपाल में हुआ था। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बढ-चढकर भाग लिया। 1942 ई. में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान है उन्होंने भी गिरफ्तारी दी। 1948 ईं. में भोपाल स्टेट का भारतीय गणतंत्र में विलय हेतु इन्होंने आंदोलन किया और जेल भी गए।

स्वतंत्रता के बाद 1952 से 1956 ई. तक ये भोपाल स्टेट के मुख्यमंत्री रहे। 1974 से 1977 ई. तक ये संचार मंत्री रहे, साथ ही 1985 से 1987 ईं. तक ये आंध्र प्रदेश, पंजाब और महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे। डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने ‘ कॉन्ग्रेस अप्रोच टू इंटरनेशनल अफेयर्स ‘ नामक एक पुस्तक की भी रचना की थी।

शंकर दयाल शर्मा 1987 से 1992 ई. तक भारत के उपराष्ट्रपति तथा 1992 से 1997 ई. तक भारत के राष्ट्रपति रहे। 26 दिसंबर, 1999 को दिल का दोरा पड़ने के कारण इनका निधन हो गया।

सेठ गोबिंद दास

भारत के स्वतंत्रता सेनानी, साहित्यकार एवं सांसद सेठ गोविंद दास का जन्म अक्तूबर 1896 में एक संपन्न मारवाड़ी परिवार में हुआ था। उन्होंने उच्चकोटि की शिक्षा-दीक्षा ग्रहण की थी तथा जब गांधीजी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की थी तो उन्होंने भी इस आंदोलन प्रें सक्रिय रूप से भाग लिया था।

1920 ईं. के कॉन्ग्रेस के नागपुर अधिवेशन में उन्होंने अपने क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। भारत की स्वतंत्रता के बाद जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। वे भारतीय कॉन्ग्रेस पार्टी के प्रमुख नेता थे। उन्हें 1961 ई. में पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

सेठ गोविंद दास उच्चकोटि के हिन्दी साहित्यकार भी थे। मात्र 16 वर्ष की आयु में ही उन्होंने चंपावती नामक लघु उपन्यास की रचना कर डाली। उन्होंने अनेक नाटक, काव्य, एकांकी, उपन्यास, यात्रा वृत्तांत, संस्मरण, निबंध और जीवनी की रचना की।

1917 में उनका पहला नाटक विश्व प्रेम प्रकाशित हुआ। सेठ गोविंद दास का भारतीय संस्कृति के प्रबल अनुरागी तथा हिन्दी भाषा के प्रबल पक्षधर थे। जून 1974 को इनका निधन हो गया।

केलाश नाथ काटजू

इनका जन्म 17 जून, 1887 को मध्य प्रदेश की जावरा रियासत (इंदौर के निकट) में हुआ था। 1957 से 1962 तक ये मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। श्री काटजू ने ‘ इलाहाबाद लॉ जर्नल ‘ का संपादन भी किया था। ये उड़ीसा (ओडिशा) और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रहे।

द्वारिका प्रसाद मिश्र

द्वारिका प्रसाद का जन्म 5 अगस्त, 1901 को हुआ था। 1920 ई. में सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल होकर इन्होंने अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया। 1963 से 1967 तक ये मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। 1922 में इन्होंने ‘ श्री शारदा ‘ का संपादन किया। इनके द्वारा रचित पुस्तकें हैं – कृष्णायन व अनुदिता।

डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर

भारत रत्न से सम्मानित डॉ. भीमराव अंबेडकर भारतीय संविधान के शिल्पकार, स्वतंत्र भारत के पहले कानून.मंत्री, एक राष्ट्रभक्त, समाज सुधारक, विधिवेत्ता, शिक्षाविद्‌, राजनीतिज्ञ, विचारक एवं अर्थशास्त्री थे। अंबेडकर का जन्म 14 अप्रेल, 1891 को मध्य प्रदेश के इंदौर ज़िले के महू में हुआ था।

अछूत कहलाने वाली महार जाति में जन्मे अंबेडकर को अपने शुरुआती जीवन में ही भारत में जाति व्यवस्था के कारण होने वाले भेदभाव का क॒टु अनुभव हो गया था।

उन्होंने 1912 में एलफिंस्टन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया,उसके बाद अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में, पोस्ट ग्रेजुएशन किया। वर्ष 1916 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स में दाखिला लेकर “इंडियन रूपी “ पर थीसिस लिखी।

डॉ. अंबेडकर ने 1920 में ‘मूकनायक’ नामक साप्ताहिक पत्र प्रकाशित किया। 1930 में अंबेडकर ने अछूतो और वंचितों क्र रूप में प्रथम गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया और 1932 में पृथक निर्वाचन मंडल की मांग ( दलितों के लिए ) पर महात्मा गाँधी के साथ पूणा समझौता किया।

उन्होंने संविधान निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, वे प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे।

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