बाबा तिलका माझी: एक बहादुर आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी

जय हिंद और जय जोहर दोस्तों | इस आर्टिकल में हम लोग तिलका मांझी (Baba Tilka Majhi In Hindi) के बारे में जानेंगे झारखंड के ओर सम्पूर्ण भारत के पहले आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी के बारे में आप लोगों को भगवान बिरसा मुंडा के बारे में तो पता ही होगा, लेकिन  क्या आप भारत के पहले आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी तिलका मांझी के बारे में जानते थे यदि नहीं तो आज हम इस आर्टिकल के माध्याम से आपलोगोंको अधिक से अधिक जानकारी देंगे तो जुड़े रहे हमारे साथ और जरूर पड़े तिलका मांझी के बारे में |

तिलका मांझी (Baba Tilka Majhi) के बारे में पढ़ा तो मेरे रोंगटे खड़े हो जायेंगे आर्टिकल पसंद आये तो कमेंट और शेयर कर दीजिएगा तो आइए शुरू करते हैं |

तिलका मांझी का जन्म 11 फरवरी, 1750 को बिहार के सुलतानगंज जिले के तिलकपुर गांव में हुआ था। उनका  वास्तविक नाम जबरा पहाड़िया था पिता का नाम था सुन्दरा मुर्मू | 

Baba Tilka Majhi Real Photo 

तिलका मांझी जो इनका नाम है यह नाम इन्हें अंग्रेजों के द्वारा दिया गया था चुकी तिलका का मतलब गुस्सैल व्यक्ति होता है | गुस्सैल व्यक्ति जिसकी आँखें लाल हो क्योंकि तिलका मांझी क्रोधी स्वभाव के स्वतंत्रता सेनानी थे एक आक्रामक स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अंग्रेजों के नाक पर दम कर रखा था इसलिए अंग्रेजों ने ही इन्हें तिलका नाम दिया था और मांझी क्योंकि इनके बाबू जी तिलकपुर गाँव के ग्राम प्रधान हुवा करते थे इसलिए ग्राम प्रधान को उस समय मांझी बोला जाता था इसलिए इनका नाम तिलका मांझी पड़गया |

तिलका मांझी : जानकारी

  • जन्म : 11 February 1750
  • तिलकपुर गाँव: बिहार ( सुल्तानगंज )
  • वास्तविक नाम : जबरा पाहाडिया 
  • पिता का नाम : सुन्दरा मुर्मू
  • धर्म : हिन्दू
  • राष्ट्रीयता : भारतीय

Baba Tilka Majhi के बचपन के शोक 

  • कुश्ती करना 
  • तीरंदाजी करना 
  • जंगलों में जाकर के शिकार करना 
  • पेड़ों से फल तोडना 

इत्यादि का शौक हुवा करता था बचपन से ही थोड़े समय के लिए तिलका मांझी अपने दोस्तों के साथ जंगलों में जाते थे घूमते फिरते थे

Baba Tilka Majhi का इतिहास

जंगलों की ये सब एक्टिविटी ही तिलका मांझी को बचपन से ही अंदर से वीर बनाती है लड़ने को उत्तेजित करती है | 

एक तरफ अंग्रेजों के जुल्म बढ़ रहा था दूसरी तरफ तिलका मांझी बड़े हो रहे थे अंग्रेजों के जुल्म हर एक आदिवासी आदिवासियों पर भारी पड़ रहा था

पहले ये आदिवासी लोग शांत स्वभाव के हुआ करते थे एक समय ऐसा आया कि ये लोग आक्रमक हो गए और वही आक्रामकता का सबसे बड़ा उदाहरण है तिलका मांझी वो पहले आदिवासी थे जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए बिगुल फूंका उन्होंने बोला कि अंग्रेजों से डर क्यों रहे हो क्यों इनके जमीरदारी जागीरदारी स्वीकार कर रहे हो 

इनके खिलाफ लड़ो यह हमारी जमीन में हमारी धरती में आकर के हमारी परंपरा हमारी सभ्यता को नष्ट कर रहे है हमें गुलाम बना रहे है हमारी धरती में आकर के इनको मारो जब इनके दोस्त इनकी बातें नहीं सुनते ग्राम के लोग इनकी बातें नहीं सुनते चुकी वे बच्चे थे इनके परिवार के लोग इनके बातें नहीं सुनते थे जब भी कोई अंग्रेज अफसर या अधिकारी तिलका मांझी के गांव आता और तिलका मांझी से कभी उसका पाला पड़ा और जबरन उससे कोई काम करवाने की कोशिश करें तो तिलका मांझी ने उनको मौत के घाट उतार दिया

कोई भी अंग्रेज आज तक ऐसा पैदा नहीं हुआ जो का मांझी को अपने कंट्रोल में ले आए तिलका मांझी हमेशा बोला करते थे कि तुम मेरे जमीन में आए हो तो मेरे घर में आए हो तो तुम तुम्हारे बाप की जागीर नहीं तुम्हारा यह मेरा घर है यह मेरा जल जंगल जमीन है जहां पर मेरा कब्जा है तुम आ करके मेरे जमीन में मुझपर अधिकार स्थापित करने वाले कौन होते हो 

समय के साथ तिलका मांझी की सेना बड़ी होती गई लोग तिलका मांझी के साथ जुड़ने लगते हैं और कई सारे लोग हो गए सारे समय कैसा सारे गांव तिलका मांझी के अनुयायी बन जाते हैं एक समय ऐसा आता है कि देश में अकाल आ जाता है | 

आदिवासियों की जमीन तो पहले से ही जमीदारों के कब्जे में थे उन्हें टैक्स देना पड़ता था ऊपर से हो गया सूखा लोगों के खाने के बांधे हो गए लोग झारखंड में बहुत तादाद में मरने लगे उनकी आंखों के सामने गांव के लोग भूख से मर रहे थे तब के बच्चे मर रहे थे बूढ़े बुजुर्ग मर रहे हैं तो लोग मर रहे थे अकाल की स्थिति को देख करके तिलका

मांझी अपने दोस्तों के साथ मनाते है कि कुछ न कुछ तो करना होगा नहीं तो ऐसे में हमारे लोग भूखे मर जाएंगे तो एक प्लान बनाते है उसके तहत वे अपने कुछ दोस्तों को लेकर के अंग्रेजी सरकार के खजाने को लूटने के लिए चले जाते हैं और अंग्रेजी सरकार के खजाने को लूटने के पश्चात गांव वालों में दान कर देते हैं जिससे गांव वालों की भूख मिट जाती है और इस अकाल की स्थिति में कई सारे लोग हजारों लोग जो भूखे मरने से बच जाते हैं जब तिलका मांझी अंग्रेजी हुकूमत के खजाने को लूट कर के गांव वालों में बांटते हैं गांव वाले बहुत खुश हो जाते हैं 

उन्हें अपना मसीहा मान बैठते हैं और समझ चुके थे के तिलका मांझी मामूली इंसान नहीं है तिलका ने हमेशा से ही अपने जंगलों को लूटने अपने लोगों पर अत्याचार होते हुए देखा था गरीब आदिवासियों की भूमि खेती जंगलों वृक्षों पर अंग्रेजी शासकों का कब्जा देख रखा था आदिवासियों और पर्वतीय सरदारों की लड़ाई अक्सर अंग्रेजी सत्ता से होते रहते थे लेकिन पर्वतीय जमीदारों एवं अंग्रेजी सत्ता का ही साथ दिया करता था

तिलका मांझी राष्ट्रीय भावना जगाने के लिए भागलपुर में स्थानीय लोगों की सभावो में संबोधित करते थे जाति और धर्म से ऊपर उठकर लोगों को देश के लिए एकजुट होने के लिए प्रेरित करते थे 

तिलका मांझी ने अपने लोगों को बुलाकर जाति धर्म अंधविश्वास यह सब को भूल कर के अपने देश अपने राष्ट्र के लिए लड़ो अपने से क्या लड़ाई कर रहे हैं इन अंग्रेज सिपाहियों से लड़ो इस अंग्रेजों से लड़ाई जिन्होंने हमारे जल जंगल जमीन को कब्जा करके हमारे घरों को हमारे जमीनों को हमारे औरतो को इतना ज्यादा प्रताड़ित करते हैं हम सालों से इनकी गुलामी करते रहे है

तो कहीं न कहीं इनके खिलाफ दोनों लड़ो आपस में क्या लड़  रहे हो यह लोगों को समझाने का काम करते थे तिलका मांझी अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने के बाद तिलका मांझी की लोकप्रियता बढ़ चुके थी अब वह धीरे धीरे अंग्रेजी सरकार पर और ज्यादा बार करना शुरू कर दिए थे
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अगस्टस क्लीवलैंड की हत्या

जब क्लीवलैंड और सर आयर ने बहादुर तिलका मांजी की सेना के साथ युद्ध छेड़ दिया था । जब ब्रिटिश सेना युद्ध के लिए आगे बढ़ी, तो तिलका के सैनिकों ने गुप्त रूप से अंग्रेजी सेना पर तीर चलाना शुरू कर दिया। तिलका एक ताड़ के पेड़ पर चढ़ गये.

उसी समय क्लेव भूमि घोड़े पर चढ़कर आई। उसी समय 13 जनवरी, 1784 को तिलका ने अपने जहरीले तीरो से अधीक्षक क्लेव लैंड को मार डाला। क्लेव लैंड की मृत्यु की खबर के बाद अंग्रेजी सरकार हिल गई। शासक, सैनिक और अधिकारी बौखला उठे तिलका मांझी के इस कारनामे से पूरे ब्रिटिश सरकार सदमे में थी 

उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि जंगलों में रहने वाला एक आम आदिवासी उनके कलक्टर को मार गिराया

तिलका ने कभी भी समर्पण नहीं किया था न कभी झुके और न ही डरे थे।

तिलका मांझी की गिरफ्तारी

तिलका मांझी की गिरफ्तारी अपने एक दोस्त के धोखे से हुई थी। अंग्रेजों ने तिलका मांझी के एक विश्वासपात्र व्यक्ति को उन्हें पकड़ने के लिए भेजा था। उस व्यक्ति का नाम राय धन्ना था। राय धन्ना तिलका मांझी का एक पुराना साथी था। 

12 जनवरी, 1785 को राय धन्ना तिलका मांझी के पास पहुंचा। उसने तिलका मांझी को बताया कि उनके परिवार को खतरा है और उन्हें भागना चाहिए। तिलका मांझी राय धन्ना की बातों पर विश्वास करके उसके साथ चले गए।

राय धन्ना तिलका मांझी को एक जंगल में ले गया। वहां अंग्रेजों का एक दल पहले से मौजूद था। अंग्रेजों ने तिलका मांझी को पकड़ लिया और उन्हें भागलपुर ले गए। तिलका मांझी की गिरफ्तारी के बाद, अंग्रेजों ने उनके परिवार को भी गिरफ्तार कर लिया।

तिलका मांझी को गिरफ्तार करने के बाद, अंग्रेजों ने उन्हें घोड़ों से बांधकर भागलपुर तक घसीटा। 13 जनवरी, 1785 को तिलका मांझी को फांसी दे दी गई। अंग्रेजों ने राय धन्ना को 1000 रुपये का इनाम दिया था।

तिलका मांझी की गिरफ्तारी एक महत्वपूर्ण घटना थी। उनकी गिरफ्तारी से आदिवासी समुदाय में अंग्रेजों के खिलाफ गुस्सा और आक्रोश बढ़ गया। 

तिलका मांझी की गिरफ्तारी और फांसी ने आदिवासी समुदाय में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की भावना को और तेज कर दिया।

तिलका मांझी फिल्म 

दोस्तों झरिया के रहनेवाले फिल्मकार धीरज मिश्रा फिल्म बना रहे हैं। फ़िल्म की शूटिंग धनबाद के टुंडी यूपी के मिर्जापुर से स्टार्ट हो चुकी है|

तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (Tilka Manjhi Bhagalpur University)

तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय भारत में स्थित  बिहार राज्य के भागलपुर शहर में बसा  एक सार्वजनिक विश्वविद्यालय है। इसका नाम प्रसिद्ध क्रांतिकारी तिलका मांझी के नाम पर रखा गया है। इस  भागलपुर विश्वविद्यालय स्थापना 12 जुलाई 1960 को हुई थी।

http://www.tmbuniv.ac.in/  

आखिर में 

कहा जाता है की जब जबरा पहाड़िया ने फांसी पर चढ़ने से पहले गीत गाया था ! आखिर Tilka Majhi ने अपने जीते जी अंग्रेज़ो को चैन की नींद कभी नहीं लेने दी. दोस्तों में आशा करता हु आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आयी होगी तिलका मांझी वे पहले आदिवासी व्यक्ति थे जिन्होंने भारत को गुलामी से आजाद  कराने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ खुप लड़ाई लड़ी। तिलका की याद में भागलपुर के दरबार में उनकी एक प्रतिमा स्थापित की गई है। 

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