चमार कौन है जानिए रियल इतिहास

आज हिन्दू समाज अलग अलग जातियों में बिखरता जा रहा है ऊंची और नीची जाति का गंदा खेल लगातार बढ़ रहा है कुछ धर्म के ठेकेदार तो कुछ राजनैतिक संगठनों से जुड़े नेता जातिवाद राजनीति के चक्कर में हिंदुओं को बांटने का काम कर रहे हैं साल 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 20  करोड़ से अधिक लोग दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और इसी समुदाय की एक प्रमुख जाति चमार (chamar kaun hai in hindi) भी है 

आज भले ही चमार शब्द (chamar shabdh)का प्रयोग किसी का अपमान करने के लिए किया जाता है लेकिन चमार असल में क्षत्रिय हुआ करते थे चमारों का अपने आप में एक गौरवशाली इतिहास रहा है 

विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ आवाज उठाने से लेकर भारत की आजादी तक चमारों का योगदान बहुत महत्वपूर्ण रहा है आपको जानकर हैरानी होगी कि प्राचीन काल में चमार जाति का कहीं भी वर्णन नहीं मिलता है 

तो फिर चमार जाति कैसे अस्तित्व में आई क्यों सूर्यवंशी क्षत्रिय से ताल्लुक रखने वाले कुछ लोगों को आज चमार कहा जाता है

तो आज के इस आर्टिकल में हम चमार जाति के बारे में विस्तार से आपको बताएंगे और साथ ही हम दावे के साथ कहते हैं कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद चमारों के प्रति आपकी सोच में जरूर बदलाव आएगा 

हिन्दू धर्म के अनुसार इस दुनिया की रचना ब्रह्मा जी ने की है और प्रत्येक जीव ब्रह्मा जी द्वारा ही बनाया गया है ईश्वर ने धरती के सभी मनुष्य को एक समान बनाया है

लेकिन समय के साथ साथ इंसान पंथवाद और जातिवाद के चक्कर में पढ़ता गया और इंसान ही इंसान की मौत को प्यासा हो गया 

धर्म और जाति के नाम पर प्राचीन भारत में कभी कोई भेदभाव नहीं होता था पहले लोगों को किसी जाति के आधार पर नहीं बल्कि वर्ण और उनके काम के आधार पर बांटा जाता था 

आज के समय में जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, टीचर्स, वकील जैसे अलग अलग पेशी है ठीक उसी प्रकार पहले लोगों को उनके कर्म के आधार पर ही पहचाना जाता था ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र के बारे में आपने पढ़ा भी होगा यह सभी नाम लोगों को उनके कार्यों के आधार पर ही दिए गए थे वहीं महाभारत और रामायण काल में भी इंसानों को अलग अलग आधार पर विभाजित किया गया है 

उस समय देव, दानव, राक्षस, यक्ष, किन्नर और गंधर्व के आधार पर जाती तय की जाती थी जो आज की जातिवाद से बिल्कुल भिन्न है चमार जाति (chamar jaati) के बारे में वैसे तो कहीं उल्लेख नहीं है 

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पहली बार चमार शब्द का प्रयोग (use of chamar word first time)

चमार शब्द का प्रयोग पहली बार सिकंदर लोधी द्वारा सोलहवीं शताब्दी में किया गया था जिस समय भारत में तुर्की और अफगान के आकर अमन कारियों ने भारत में प्रवेश करना शुरू किया था उस समय पश्चिम बंगाल में चर्मकार वंश का राज हुआ करता था यह इक्ष्वाकु और सूर्यवंशी क्षत्रिय समुदाय से संबंध रखते थे 

गौतम बुद्ध चंद्रगुप्त और अशोक सम्राट भी इसी वर्ष के थे राजा चवरसेन के शासनकाल के दौरान चर्मकार वंश काफी ऊंचाइयों तक पहुंच गया था संत रविदास यह भी चवर वंश के ही वंशज थे चित्तौड़ के राजा राणा सांगा और उनकी पत्नी झाली रानी संत रविदास जी को काफी मानते थे राजा और रानी ने मिलकर रविदास जी से चित्तौड आने का अनुरोध किया और कहा कि वह चित्तौडग़ढ़ राजगुरु बनकर महल में निवास करें रविदास जी ने राजा का आग्रह स्वीकार कर लिया और चित्तौड के महल में रहने लगे

इस दौरान रविदास जी के व्याख्यान और उनकी रचनाओं ने लोगों को प्रभावित करना शुरू कर दिया और बड़ी संख्या में लोगों ने रविदास जी को अपना गुरु स्वीकार कर लिया

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कैसे सदना फकीर से बना रामदास जानिए कहानी 

दिल्ली में सिकंदर लोधी का शासन चल रहा होता है सिकंदर को रविदास जी के बारे में सूचना मिली तो उन्हें डर था कि कहीं लोग इस्लाम धर्म की बजाय रविदास जी से ज्यादा प्रभावित होना शुरू न कर दे

सिकंदर घबरा गया और अपनी एक खास व्यक्ति मुल्ला साधना फकीर से कहा कि वह चित्तौड़ जाए और रविदास जी से इस्लाम धर्म कबूल करने को कहें रविदास जी को जबरन मुसलमान बनाने के लिए सदना फकीर चल पड़ा 

जब उसकी मुलाकात रविदास जी से हुई तो रविदास जी ने कहा कि वह शास्त्रार्थ और तर्क वितर्क कर लें अगर साधना फकीर उन्हें पराजित कर देता है तो वह इस्लाम धर्म कबूल कर लेंगे लेकिन साथ ही उन्होंने शर्त रखी कि अगर सदना फकीर हार जाता है

तो उसे हिन्दू धर्म कबूल करना होगा सदना फकीर को अपने आप पर पूरा भरोसा होता है और दोनों के बीच वाद विवाद शुरू हो जाता है इस शास्त्रार्थ में रविदास जी की जीत होती है और उनके तर्क वितर्क से सदना फकीर इतना प्रभावित हो जाता है कि वह अपनी मर्जी से ही हिन्दू धर्म अपना लेता है और अपना नाम बदलकर रामदास रख लेता है रामदास और रविदास जी मिलकर हिन्दू धर्म का प्रचार करने में जुट जाते हैं

रविदास जी समाज के सभी लोगों को एक समान नजरों से देखते थे और बराबरी का संदेश दिया करते थे

जब सिकंदर लोधी को पता चला की साधना फकीर ने हिन्दू धर्म अपना लिया है तो वह आग बबूला हो गया और उसने रविदास जी को बंदी बनाने के आदेश दे दिए रविदास जी को बंदी बनाकर एक काराग्रह में डाल दिया गया जहां उन्हें चमड़े के जूते बनाने का काम सौंपा गया सिकंदर लोधी का हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ता जा रहा था वह लोगों को अधिक से अधिक इस्लाम कबूल कराने पर मजबूर कर रहा था

रविदास जी को जब कारागृह में बंद किया गया तो क्षत्रिय राजाओं और चर्मकार वंश के लोगों का खून खौल उठा कई राजाओं ने मिलकर दिल्ली को चारों तरफ से घेर लिया सिकंदर लोधी के खिलाफ आम लोगों ने अपनी आवाज बुलंद कर दी इस तरह लोगों के विद्रोह को देखते हुए लोधी ने संत रविदास जी को रिहा कर दिया 

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क्षत्रिय से चमार कैसे बने (kshatriya to chamaar)

लेकिन1520 ईस्वी में संत रविदास जी का देहांत हो गया और एक बार फिर सिकंदर लोधी का अत्याचार बढ़ गया चर्मकार वंश के लोगों ने इस्लाम धर्म कबूल करने से साफ इनकार कर दिया सिकंदर लोधी ने इस वंश के सैकड़ों हजारों लोगों को बंदी बनाया और उन्हें चमड़े के जूते और अन्य चीजें बनाने का काम सौंप दिया गया 

विदेशी आक्रमणकारियों से पहले भारत में चमड़े के जूते या अन्य चीजों का प्रयोग नहीं किया जाता था और चमड़े को लोग अशुद्ध माना करते थे इसके बाद सिकंदर लोधी ने चमड़े का काम करने वाले क्षत्रिय लोगों का अपमान करने के लिए उन्हें चमार कहकर संबोधित किया चर्मकार वंश के लोगों का अपमान करने और इस्लाम कबूल न करने पर सिकंदर ने चमार कहकर इस क्षत्रिय समुदाय का बहुत अपमान किया

क्षत्रिय लोग हमेशा से ही अपने उसूलों के पक्के माने गए हैं वे ना तो सिकंदर के आगे झुके और ना ही उन्होंने इस्लाम धर्म कबूल किया इस तरह से अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए उन्होंने चमड़े का काम किया और तभी से चमड़े का काम करने वाले लोगों को चमार कहना शुरू कर दिया गया 

चमार जाति के शिक्षा पर लगी रोक (chamar education)

इस जाति के लोगों की शिक्षा पर भी रोक लगा दी गई जिससे कि उनकी आने वाली पीढ़ी को अपने गौरवशाली इतिहास के बारे में बिल्कुल भी पता न चल सके चमड़े का काम करने के कारण ही उन्हें क्षत्रिय समुदाय से अलग कर दिया गया 

सिकंदर लोधी ने ही इन्हें नीच और शूद्र जाति का दर्जा दिया कर्नल टॉड ने अपनी किताब द हिस्ट्री ऑफ राजस्थान में चर्मकार वंश और चवनसेन  के बारे में काफी कुछ लिखा है जाति के इतिहास के बारे में सबसे अच्छी व्याख्यान डॉक्टर विजय सोनकर शास्त्री जी की पुस्तक हिन्दू जन का जाति में देखने को मिलता है 

आज भी चमार जाति के लोग सम्पूर्ण भारत में पाए जाते हैं भारत के अलावा नेपाल और पाकिस्तान में भी इस समुदाय के लोग रहते हैं राजस्थान के कुछ हिस्सों में चमारों का रहन सहन और बर्ताव राजपूतो जैसा नजर आता है महिलाएं घूंघट रखती है तो वहीं पुरुष स्वाभिमान के लिए मूछे और पगड़ी रखते हैं 

आज किसी दलित को या इस जाति के लोगों को चमार कहा जाए तो वे काफी गुस्सा हो जाते हैं और अपमानजनक महसूस करते हैं और वे अपनी जगह बिल्कुल ठीक भी है क्योंकि जब वे चमार है ही नहीं तो भला किसी की गलत बातों को क्यों बर्दाश्त करें

चमार रेजिमेंट (chamar regiment)

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने एक चमार रेजीमेंट का भी गठन किया था जो एक पैदल रेजीमेंट थी आधिकारिक तौर पर यह 1 मार्च 1943  को बनाई गई चमार रेजीमेंट की सेना ने कोहिमा की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उसके लिए रेजिमेंट को सम्मानित भी किया गया था सन  1946 में रेजिमेंट को भंग कर दिया गया था

समय समय पर लोगों द्वारा एक बार फिर से इस रेजिमेंट के गठन की मांग की जाती रही है बाबा साहेब अंबेडकर ने अपना पूरा जीवन दलित और पिछड़ी जाति के लोगों को समाज में बराबरी का तबका दिलाने में समर्पित कर दिया आज भी चमार और अन्य दलित समुदाय के लोग भीमराव अंबेडकर को अपना आदर्श मानते हैं

जरा सोचकर देखिए कि यदि चर्मकार वंश के इन क्षत्रियों ने इस्लामिक आक्रमणकारियों के खिलाफ अपनी आवाज ना उठाई होती और इस्लाम धर्म कबूल कर लिया होता तो आज भारत में मुसलमानों की संख्या पचास करोड़ से भी अधिक होती और इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि शायद हिन्दू से भी ज्यादा मुसलमान की आबादी आज देश में होती

आखिर में

हिन्दू धर्म और समाज की रक्षा में चमार जाति (chamar jaati) का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता तो दोस्तों उम्मीद करते हैं कि आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी और चमार जाति के गौरवशाली इतिहास के बारे में भी आप समझ गए होंगे आज के बाद यकीनन चमारों को देखने का नजरिया भी बदल जाएगा आज लोग सेकुलर होने के नाम पर ईद पर सवैया खा सकते हैं तो फिर भला एक चमार या दलित के घर का पानी पीने में क्या है  ईश्वर ने प्रत्येक मनुष्य को एक समान बनाया है और हमें ईश्वर की रचना में भेदभाव नहीं करना चाहिए अगर आपको यह आर्टिकल अच्छी लगी हो तो इसे शेयर और कमेंट जरूर कर देना

चमार जाति से जुड़े कुछ सवाल और जवाब

1) चमार क्रिकेटर कौन है

लगभग 140 साल पहले भारत में कई दुरन्धर क्रिकेटर खिलाडी हुआ करते थे उनमेसे से पहला चमार  खिलाडी का नाम था पालवंकर बालू जिसे लोग स्पिनर का जादूगर कहते थे जिसको खुद डॉक्टर भीम राव आंबेडकर अपना नायक मानते थे. पालवंकर बालू महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के पलवानी गांव के रहने वाले थे अन्य चमार क्रिकेट खिलाडी के नाम कुछ इसतरह है, सीके नायडू, विजय मर्चेंट, विजय हजारे और वीनू मांकड़ थे 

2) उधम सिंह चमार कौन है

शहीद उधम सिंह जिसे लोग ‘शेर सिंह’ के नाम से भी जानते थे जिनका जन्म साल 26 दिसम्बर 1899 में लाहौर से करीबन 130 मील दूर दक्षिण में सुनाम के पिलबाद के पड़ोस में एक सिख परिवार में हुआ था उनकी मृत्यु 31 जुलाई 1940 में हुई जिसने भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के महान सेनानी एवं  दलित  क्रान्तिकारी थे। उन्होंने जलियांवाला बाग कांड के समय पंजाब के गर्वनर जनरल रहे माइकल ओ’ ड्वायर को लन्दन में जाकर गोली मारी थी और जिसने जलियांवाला बाग कांड का बदला लिया

3) बॉलीवुड में चमार कौन है

भारत के फिल्मइडस्ट्री में सीमा बिसवास,राखी सावंत,खविंदर सिंह,कैलाश खैर, गौरी शिंदे ,सोनू निगम और अजय देवगन यह सभी बॉलीवुड के मशहूर हीरो, हीरोइन और सिंगर्स चमार जाति से जुड़े है

4) चमार कितने प्रकार के होते हैं

चमारों में लगभग 150 से अधिक उपजातिया पाई जाती है, जिनमें से सभी की विशेषता सुव्यवस्थित पंचायतें होती हैं।

5) भारत में चमार की जनसंख्या कितनी है

वर्तमान में इनकी जनसंख्या लगभग 2.8 करोड़ है जो मुख्य आबादी का लगभग 12 प्रतिशत भारत में है।

6) चमार कौन सी जाति के हैं

माना जाता है की चमार यह लोग एक छत्र जाति के श्रेणी में आते है

7) चमार के देवता कौन है

चमार लोग अपने देवता जिन्हे बाबा बाली और गड्डा कहा जाता है उनकी पूजा करते हैं

8) चमार किस वंश के हैं

चमार उत्पल वंश के है जिसका शाशक उत्पल वंश से था

9) चमार का अर्थ

चमार का मतलब चमड़े के जूते, मोट आदि बनाने का पेशा करनेवाली जाति के लोगो को चमार कहा जाता है

10) चमार और जाटव में अंतर क्या है  (What is difference between chamar and jatav)   

चमार सबसे पुरानी जाती है वही जाटव चमार की हजारो जाती में से एक उपजाति है जिसका अर्थ ये हुवा के सभी जाटव चमार है लेकिन सभी चमार जाटव नहीं जाटव शब्द का इस्तेमाल जो की 1 दिसंबर 1942 में पहली बार भारत के सरकारी कार्यालयों में लिया गया

जाटव यह उपजाति खास करके उत्तर प्रदेश में पाई जाती है. इसके अतिरिक्त राजस्थान, छत्तीसगढ़,हरियाणा, उत्तराखंड और दिल्ली में भी इनकी उपस्थिति द्खेने को मिलती है.

11) चमार को काबू कैसे करते है (Chamar Ko Kabu Kaise Karen)

चमार को काबू कैसे कर सकते हो आपको निचे दिए गए तरीके का पालन करना है दोस्तों ये तरीका चमार तो क्या दुनिया का कोइसा भी इंसान को आप काबू में कर सकते हो :

  • उनके साथ मिलने पर जय माता जी भोले 
  • चमार भाई का सम्मान एवं आदर करे 
  • महिलाओ का सम्मान करे 
  • चमारो से धार्मिक और शांत सव्भाव में बाते करनी चाहिए
  • चमार लोगो के साथ कभी बहस या झगड़ा नहीं करनी चाहिए
  • चमार लोगो की दिल से इज्जत करनी चाहिए  
  • उनसे दोस्ती का हाथ बढ़ाये
  • मीठी बाते करें और कभी जूठ न बोले 

12) चमार जाती के गोत्र (what is gotra of chamar caste)

वैसे तो चमार जाती के कई गोत्र है लेकिन हम आपको केवल कुछ ही गोत्रों  के बारे में चमार जाति के गोत्रों की सूची – Jatav Gotra List in Hindi जैसे की पाटिदया,पड़ियार,रमण्डवार,रेसवाल,राताजिया, राईकवार और रांगोठा इत्यादि 

13) चमार रेजिमेंट क्या है (chamar regiment in hindi)

चमार रेजिमेंट को ऑफिसियल, इसे साल 1 मार्च 1943 को बनाया था, क्योंकि 27वीं बटालियन दूसरी पंजाब रेजिमेंट को संशोधित किया गया ओर चमार रेजिमेंट तब के समय में उन सेना इकाइयों में से एक थी, जिन्हें कोहिमा की लड़ाई में अपनी योगदान के लिए सम्मानित किया गया था। सन 1946 में रेजिमेंट को भंग कर दिया गया।

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