दोस्तो भारत में करीब चार सौ से भी ज्यादा जनजातियां रहती है जिनकी कई उपजातियां ही उन्हें आदिवासी जनजातियों में गोंड जनजाति भी शामिल गोंड जनजाति ( gond janjati ) का गौरवपूर्ण इतिहास समृद्ध सांस्कृतिक विरासत रही है
आज हम इस आर्टिकल में गोंड जनजाति के बारे में जानेंगे आखिरकार गोंड किन लोगों को कहते हैं गोंडो की उत्पत्ति कैसे हुई गोंडो का इतिहास गोंडी आदिवासी भाषा और संस्कृति प्रमुख व्यक्ति एवं गोंड आदिवासियों की समस्याओं एवं मांगों के बारे में जानेंगे मेरे प्यारे दोस्तों आप यह पोस्ट लास्ट तक जरूर पड़े
गोंड आदिवासियों का परिचय
भारत में गोंड समुदाय द्रविढ़वर्ग के माने जाते है, जिनमे जाती व्यस्था नहीं हुआ करती थी भारत में इन्हें एसटी वर्ग यानी शेड्यूल ट्राइब अथवा आदिवासी वर्ग में रखा गया है दो हज़ार ग्यारह की जनगणना के अनुसार भारत में गुंडों की संख्या करीब तेरह मिलियन थी
गोंड लोग गोंडी भाषा बोलते हैं जिससे द्रविड़ परिवार की तेलगू, कन्नड़ एवं तमिल आदि से संबंधित माना गया है
गोंड जनजाति मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गुजरात तेलंगाना एवं उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से निवास करती है
गोंडो का इतिहास ( gond janjati ka itihas )
गोंड आदिवासी अपनी उत्पत्ति भगवान शंभू यानी की शिव से मानते हैं भारत में जनजातियां मुंडा और भील एक ही नस्ल की मानी जाती है और गोंड भी उनमे शामिल है
गोंड आदिवासियों का अपना गौरवपूर्ण इतिहास रहा है वर्तमान मध्य प्रदेश के एक बड़े हिस्से पर गुंडों ने सफलतापूर्वक शासन किया वर्तमान छत्तीसगढ़, विंध्याचल, बुंदेलखंड और बघेलखंड के अधिकांश क्षेत्रों पर 1800 इसा तक गुंडों का शासन रहा बारहवीं से अठारवीं सदी तक गुंडों ने सफल शासन किया था
गढ़ा मांडला में राजा जदुराई ने गोंडवाना का शासन स्थापित किया था गोंडो में सबसे प्रतापी गोंड शासक संग्राम शाह और राजा दलपत शाह थे संग्राम शाह एक प्रतापी शासक जिन्होंने 52 किले जीते थे जब उन्होंने 52 किल्ले जीत लिए तब उन्होंने नरसिहपुर चौरागढ़ किला उन्होंने बनवाया था उनके पुत्र दलपत थे दलपत और चंदेल राजवंश में जन्मी दुर्गावती दोनों का विवाह करना चाहती थे लेकिन चंदेल शासक इनके विरोध में थे
तब संग्राम शाह व दलपत शाह ने चंदेलों के विरुद्ध युद्ध किया और चंदेल को हरा दिया फिर आगे चलकर रानी दुर्गावती ने मुगल शासक अकबर व मालवा के बाज बहादुर से युद्ध किया देवगढ़ में गोंड शासकों के बाद भील शासक हुए थे
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लगभग पांच शताब्दियों के अधिपति में गोंड राजाओं के चार प्रमुख केंद्र रहे जिनमें सिरपुर, जूनोना, बल्लालपुर एवं चांदा थे सारांश यह देखने में आता है गुंडों ने मध्य प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ एवं विदर्भ बड़े क्षेत्रों में अपना शासन कायम कर रखा था
वर्तमान में भी गोंड शासकों द्वारा बनाई गई इमारतें महल मौजूद हैं जिनमें नसीरपुर का जूनागढ़ किला भोपाल में गोल्ड महल स्थित थे वहीं मदनमहल भी इसकी थे
गोंडवाना में अनेक राजकोट राजवंशों का दृढ़ ओर सफल शासन स्थापित था इन शासकों ने बहुत से दृढ़ दुर्ग तालाब तथा स्मारक बनवाए और सफल शासन की नीति दक्षता का परिचय दिया इनके शासन की परिधि मध्य भारत से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार तक पहुंची थी
1500 वी शताब्दी में चार महत्वपूर्ण गोंड साम्राज्य जिसमें केला गढ़, मंडला, देवगढ़ ओर ज्यानदागढ़ प्रमुख गोंड राजा बख्त बुलन्द शाह ने नागपुर शहर की स्थापना की थी वहीं भोपाल शाह ने भोपाल नगर बसाए संग्राम शाह के पुत्र दलपत शाह एक शाही राजा के पुत्र थे वे बड़े सुंदर शूरवीर और विद्वान थे
कुछ गोंड शासक बेहतर संगठक थे संग्राम शाह ने राज्य का विस्तार किया व्यवस्था सुदृढ़ की सिंचाई एम इन्हें के पानी के लिए ताल तलैया का निर्माण कराया सोने के सिक्के चलाए सुरक्षा की दृष्टि से किलो का निर्माण कराया गोंड शासक निजाम शाह ने भोपाल में अपना राज कायम किया था
समय समय पर गुंडों का सामना राजपूत मुगल और मराठा एवं अंग्रेजों से हुआ और गुंडों ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया 1642 में गोंड और भीलो ने मुगलों के विरुद्ध विद्रोह किया जब ब्रिटिशों ने गुंडों को अपने कब्जे में लेने की ठानी गुंडों ने ब्रिटिशो को मुंहतोड़ जवाब दिया गोंड वंश के राजा शंकर शाह व उनके पुत्र रघुनाथ शाह ने 1800 की प्रथम क्रांति में अपने जीवन का बलिदान देकर भारत एम गोंड का आत्मसमर्पण बनाया रखा राजा भभूत सिंह ने पंचमढी क्षेत्र में प्रमुख रूप से अंग्रेजों के खिलाफ कार्य किया दरअसल गुंडों का इतिहास गौरवशाली रहा है
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गोंडो की संस्कृति ( gond janjati ki sankriti )
गोंड जनजाति के पास अपनी समृद्ध संस्कृति रीति रिवाज एवं परम्पराएँ हैं गोंड जनजाति गोंडी भाषा बोलते हैं इस भाषा कोया यह भी कहा जाता है और गोंडो की संस्कृति को कोयतुरी संस्कृति कहा जाता है कोयतुरी अथवा गोंड जैविक रूप से प्रकृति से जुड़े हैं
उनके सभी देव प्रकृति के सभी रूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं सभी देवताओं में से महानतम देवता बड़ा देव को माना जाता है
ठाकुर देव काकड़ी वृक्ष से जुडे हुए गोंड लोग सयम को उत्सव के दौरान किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के न्रित्य से अभिव्यक्त करते हैं जैसे कि सुरला, वीणा तथा दादरीया आदि शैला नृत्य पहले कभी तलवारों के साथ किया जाता था पर अब समय के साथ वे छडियों के माध्यम से यह नृत्य करते हैं दादर यह गीत दूल्हे के आगमन पर किया जाता है
करमा नृत्य वर्ष में कभी भी किया जा सकता है खासकर अतिथि आगमन पर पूरा परिवार करमा नृत्य करता है गोंडो की अर्थव्यवस्था कृषि प्रदान होती है
गोंड रचनात्मक अभिव्यक्ति करती हैं जिनमें गुदना अथवा टैटू करना होता है वर्तमान में ऐसी अनेक कलाकार है जो गोंड जीवन शैली की चित्र कार्यों के माध्यम से इन परंपराओं में रुचि उत्पन्न कर रहे गोंड चित्रकारी की वर्तमान शैली को जगड कलाम कहा जाता है
आइए दोस्तों अब हम जानते हैं
प्रमुख गोंड व्यक्तियों के बारे में (Famous gond janjati people in hindi)
प्रमुख गोंड व्यक्ति राजा संग्राम शाह प्रमुख राजा थे जिन्होंने 52 के किले जीते थे एवं अपने राज्य में विकास कार्य किए थे
रानी दुर्गावती
रानी दुर्गावती एक सफल महिला आदिवासी शासक थी जिन्होंने मुगलों के विरुद्ध महत्वपूर्ण कार्य किए थे रानी दुर्गावती दलपत शाह की पत्नी थी
शंकर शाह और रघुनाथ शाह
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शंकर और रघुनाथ शाह ने अंग्रेजो का विरोध किया मराठा और भोसले राज घरानों ने मिलकर गोंड राजवंश को समाप्त करने का षडयंत्र किया गोंड साम्राज्य के प्रतापी राजा शंकर शाह ने उस दौरान घुटने नहीं टेके
अंग्रेजों ने इन तीनो राजघरानों को आपस में लड़ाया लेकिन गुंडों ने ब्रिटिशों के विरुद्ध महत्वपूर्ण विद्रोह किया जबलपुर में स्वतंत्रता संग्राम का बीजारोपण राजा शंकर शाह द्वारा किया गया था
कोमराम भीम
कोमराम भीम तेलंगाना के प्रमुख क्रांतिकारी थे
वीर बाबूराव
बाबूराव मध्य भारत के रहने वाले बारबुडा शेड ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण रूप से अंग्रेजों का विरोध किया उन्होंने गन्दा जिले में विद्रोह का नेतृत्व किया था
गोंड आदिवासी रावण, महिषासुर, हिरण्यकश्यप एवं बाणासुर आदि को गोंड ही मानते और दशहरे के दिन रावण की पूजा भी करते है गोंड अन्य आदिवासी कि मान्यता है की जीन हिन्दू ग्रंथों में जिन्हें राक्षस कहकर संबोधित किया गया है दरअसल वे इस देश के मूलनिवासी ही थे जिन्हें गलत तरीके से पेश किया गया है
गोंडो की समस्याएं और मांगे (gond janjati ki problems)
पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में आदिवासी की प्रमुख समस्या यह है कि उन्हें शिक्षा स्वास्थ सुविधाएं और बिजली आदि उपलब्ध ना के बराबर अधिकतर आदिवासी पहाड़ी और जंगली क्षेत्र में निवास करते हैं
जहां मीडिया भी न के बराबर जाता है आदिवासियों के जल जंगल और जमीन पर लगातार खतरा मंडरा रहा है विकास के नाम पर दूर वनों की कटाई हो रही है पेड़ो और पहाड़ो को समतल किया जा रहा है पानी का बांध निर्माण के कारण लाखों आदिवासियों को अपने घरों से बेदखल किया जा रहा है
गोंड आदिवासियों की मांग है कि उनका एक अलग गोंडवाना नामक राज्य बने आदिवासी जाति उनका खुदका एक अलग गोंडवाना राज्य हो जहां सरकार आदिवासियों की ही बने साथ ही साथ पूर्ण आदिवासी समय समय पर अपने जल जंगल और जमीन की रक्षा
हेतु कदम उठाते आदिवासी चाहते हैं कि उनकी संस्कृति रीति रिवाज व परंपरा सुरक्षित बचे रहे आदिवासियों को शिक्षित करने हेतु दुर्गम इलाकों में स्कूल खोले जाएं व आदिवासियों के विकास के लिए योजनाएं बनाई जाए अवं किसानों का कर्ज माफ किया जाए व किस तरह की उन्नति हेतु सरकार काम करें
आखिर में
में आशा करता हु दोस्तों आपको गोंड जनजाति (gond janjati) पोस्ट पसंद आई होगी इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें कमेंट में अपना सुझाव दे की आपको कैसे पोस्ट चाहते है आपका कीमती समय देकर ये पोस्ट पड़ने के लिए धन्यवाद जय जोहार जय आदिवासी जय भारत