जय जोहार जय आदिवासी दोस्तों हमारी वेबसाइट पर आपका बहुत बहुत स्वागत है आज हम जानेंगे आदिवासी अधिकार दिवस के बारे में आप लोगो को विश्व आदिवासी दिवस के बारे में तो पताही होगा के यह कब और क्यों मनाया जाता है लेकिन क्या आपको पता है आदिवासी समुदाय के लिए पूरी दुनिया में खास तरह के अधिकार मिले हुवे है | तो चलए जानते है बिना देरी करे विश्व आदिवासी अधिकार (Viswa Adivasi Adhikar Divas) के बारे में |
आज आपके लिए नई पोस्ट लेकर आया हूँ जिसमें हम जानेंगे आदिवासी अधिकार दिवस (International Tribal Right Day in Hindi) के बारे में आदिवासी अधिकार दिवस कब मनाया जाता है और आखिर क्यों मनाया जाता है
आदिवासी अधिकार दिवस (Adivasi Aadhikar Diwas) 13 सितंबर के दिन मनाया जाता है लेकिन आप सभी यह भी जानना चाहते होंगे कि क्या वजह रही होगी कि विश्व आदिवासी अधिकार दिवस की तारीख 13 सितंबर ही क्यों है किसी दूसरे दिन भी तो मनाया जा सकता था
आदिवासी अधिकार दिवस (Adivasi Aadhikar Diwas) 13 सितंबर को ही क्यों
आखिर 13 सितंबर की डेट क्यों लिया गया तो चलिए पोस्ट को पूरा पड़ते हैं और समझते हैं
दोस्तों 13 सितंबर 2007 साल विश्व भर के आदिवासि लोगो के लिए एक ऐतिहासिक दिन था इसी दिन संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations) ने आदिवासियों के अधिकार का संयुक्त राष्ट्र के घोषणा पत्र को अंगीकृत किया था और 13 13 सितंबर 2007 को पुरे विश्व में पहला आदिवासी अधिकार दिवस (Adivasi Aadhikar Diwas) मनाया गया |
संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानवाधिकार परिषद ह्यूमन राइट्स काउंसिल (United Nations Human Rights Council) (संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद्) के प्रस्ताव संख्या 1/2 दिनांक 29 जून 2009 के आधार पर, संयुक्त राष्ट्र संघ का आदिवासियों के अधिकार के लिए घोषणापत्र को अपने 107 वें अधिवेशन में 13 सितम्बर 2007 को अंगीकृत कर लिया इसलिए ही 13 सितंबर को ही आदिवासी अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है अभी हालही में आदिवासी समाज के युवा पीढ़ी द्वारा 16 वां अंतरराष्ट्रीय आदिवासी अधिकार दिवस मनाया गया (International Adivasi Rights Day)
घोषणा पत्र में क्या था
अब हम घोषणा पत्र के बारे में थोड़ा जान लेते हैं कि आखिर घोषणा पत्र में क्या लिखा गया है घोषणापत्र में बहुत महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई है लेकिन हम इस पोस्ट में महत्वपूर्ण पांच बिंदुओं के बारे में चर्चा करेंगे
पहला महत्वपूर्ण बिंदु है
शुरुआत में ही कहा गया है कि आदिवासी समुदाय को अन्य समुदाय की भांति की बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए आदिवासी समाज में विविधता है और एक विशिष्ट भाषा एवं संस्कृति को मानने वाला समाज है इस विविधता का सम्मान होना चाहिए संस्कृति और जीवन शैली के आधार पर कोई भी राष्ट्र उनसे भेदभाव नहीं कर सकता है
दूसरा महत्वपूर्ण बिन्दु है
संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस तथ्य पर भी चिंता जताई कि बाहरी समुदाय के द्वारा आदिवासी समुदाय के जल जंगल और जमीन के दोहन का एतिहासिक क्रम रहा है और फलस्वरूप आदिवासी समुदाय ने निरंतर दर्द दुख असहाय औरअन्याय ही झेला है !
राष्ट्र निर्माण के नाम पर आदिवासी समुदायों को हाशिये पर रखा जाता है उनके राष्ट अप्रत्यक्ष रूप से आदिवासियों को मानव जाति ही नहीं गिनते हैं यह सच्चाई है और मन में बड़ा आक्रोश भी होता है!
वर्तमान में ब्लैक लाइव मैटर्स (Black Lives Matter) इसका जीता जगता सबसे बड़ा आदिवासी आंदोलन का प्रमाण है
तीसरा महत्वपूर्ण बिंदु हैं
संयुक्त राष्ट्र संघ ने यह भी कहा है कि आदिवासी देश का ज्ञान संस्कृति और पारंपरिक प्रथा सतत और न्याय संगत विकास को अपनाती रही है
जिसके कारण पर्यावरण का उचित प्रबंधन संरक्षण और संवर्धन में आदिवासी समुदाय का विशेष योगदान रहता है
राष्ट्र संघ ने आदिवासी समुदाय को शिक्षा के अधिकार के विषय में भी यह घोषणा पत्र में से उल्लेख किया है
चौथा महत्वपूर्ण बिंदु हैं
संयुक्त राष्ट्र ने चार्टर के अनुरूप आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार के अंतरराष्ट्रीय अनुबंधों के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय नागरिक और राजनीतिक अधिकार के साथ साथ विएना घोषणा को आधार मानते हुए आदिवासी समाज को आत्मनिर्भर और स्वशासन का अधिकार मिलना चाहिए ऐसे में आदिवासी समाज स्वतंत्र रूप से अपनी राजनीतिक स्थिति का निर्धारण कर सकें और अपने आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को आगे बढ़ा सकेंगे
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पांचवा महत्वपूर्ण बिंदु हैं
संयुक्त राष्ट्र संघ आदिवासियों के विशिष्ट संस्कृति और जीवन शैली का सम्मान करता हैं और विभिन्न राष्ट्रो से अपेक्षा करता हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौजूद संधियों और समझौतों एवं अन्य प्रावधानों के अनुरूप अपने अपने राष्ट्र में आदिवासियों के अधिकारों का सम्मान करें और उनकी सुरक्षा करें
इसी प्रकार इस घोषणापत्र में कुल 46 अनुच्छेद है और रोचक बात ये है की ये सभी अनुच्छेद एक दूसरे के संपूरक है
अनुच्छेद एक में आदिवासी समुदाय को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में मान्यता प्राप्त मानव अधिकार और मौलिक स्वतंत्रता और मूलभूत स्वतंत्रता के सभी प्रकार के अधिकारों का जिक्र है संयुक्त राष्ट्र संघ विभिन्न राष्ट्रों से अपील भी करता है की वो अपने संबंधित राष्ट्र में आदिवासी अधिकारों के प्रति संवेदन होंगे और आदिवासी समुदाय के प्रति अपने उत्तरदायित्व का निष्ठापूर्ण निर्वाहन करें
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अन्तः में
दोस्तों आशा है आप सभी को मेरी यह विश्व आदिवासी अधिकार दिवस (Adivasi Aadhikar Diwas) पोस्ट पसंद आई होगी इसे ज्यादा से ज्यादा कमेंट करे और अपने आदिवासी फॅमिली को शेयर करें और हमारे आदिवासी भाइयो को इस महत्व पूर्ण दिवस के बारे में जानकारी दे
जय जोहर जय आदिवासी जय भारत